आज मनाई जा रही है गोपाष्टमी

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को इंद्र देव के प्रकोप से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा (सबसे छोटी उंगली) पर उठा लिया था। सात दिनों तक निरंतर वर्षा करने के बाद इंद्र देव ने अपनी पराजय स्वीकार की थी। हर साल इस दिन को गोपाष्टमी के रूप में मनाया जाता है। गोपाष्टमी की पूजा विधि गोपाष्टमी के दिन गायों व बछड़ों स्नान करवाएं या साफ पानी से पोंछकर साफ करें। इसके बाद उन्हें फूल माला, हल्दी, कुमकुम से सजाएं। माथे पर हल्की रोली या चंदन लगाएं। पूजा स्थल पर भगवान श्रीकृष्ण और गौ माता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। विधि-विधान से गौ माता व भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें। पूजा में धूप-दीप से आरती करें। अंत में गाय के चारों ओर एक बार घूम कर प्रणाम करें। अगर आपके पास गाय या बछड़े नहीं है, तो ऐसे में आप गोपाष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना के बाद गाय व बछड़े का दर्शन जरूर करें। ऐसा करना बहुत ही शुभ माना गया है। लगाएं इन चीजों का भोग गोपाष्टमी के दिन आप गाय व उनके बछड़ों को हरी घास, ताजा चारा, फल आदि खिला सकते हैं। ऐसा करना बहुत ही शुभ माना गया है। इसके साथ ही हिंदू धर्म में रोजाना गाय को गुड़ व रोटी खिलाना भी काफी लाभदायक माना जाता है। ऐसे में गोपाष्टमी के दिन गाय व बछड़े को गुड़ व रोटी जरूर खिलाएं। इससे आपको भगवान श्रीकृष्ण की भी कृपा की प्राप्ति होती है। गौमाता की आरती ॐ जय जय गौमाता, मैया जय जय गौमाता। जो कोई तुमको ध्याता, त्रिभुवन सुख पाता॥ आयु ओज विकासिनी, जन जन की माई। शत्रु मित्र सुत जाने, सब की सुख दाई॥ सुर सौभाग्य विधायिनी, अमृती दुग्ध दियो। अखिल विश्व नर नारी, शिव अभिषेक कियो॥ ममतामयी मन भाविनी, तुम ही जग माता। जग की पालनहारी, कामधेनु माता॥ संकट रोग विनाशिनी, सुर महिमा गाई। गौ शाला की सेवा, संतन मन भाई॥ गौ मां की रक्षा हित, हरी अवतार लियो। गौ पालक गौपाला, शुभ संदेश दियो॥ श्री गौमाता की आरती, जो कोई सुत गावे। पदम् कहत वे तरणी, भव से तर जावे॥ ॐ जय जय गौ माता, मैया जय जय गौमाता ॥