Modern Madrasa Uttarakhand : शादाब शम्स ज़ुबानी जमाखर्च में माहिर – उत्तराखंड कांग्रेस 1 minority world

Special Report By – Anita Tiwari , Dehradun 

Modern Madrasa Uttarakhand उत्तराखंड वक़्फ़ बोर्ड अध्यक्ष शादाब शम्स कोई नए नेता नहीं है जो कुर्सी पर बैठते ही वादों और दावों की फुलझड़ी जला रहे हैं। दरअसल अल्पसंख्यक समाज जिस अज्ञान के अँधेरे से बाहर आना चाहते हैं उसमें मदरसे और स्कूल सबसे खूबसूरत चिराग हैं। लेकिन कड़वी सच्चाई ये है कि 22 साल बाद भी मदरसों की क्या हालत है इसके लिए राजधानी देहरादून के मुस्लिम इलाकों में झांक लीजिये दावों की हवा निकल जाएगी।

Modern Madrasa Uttarakhand शादाब की मंशा पर कांग्रेस ने उठाये सवाल

Modern Madrasa Uttarakhand
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  • Modern Madrasa Uttarakhand पहाड़ से लेकर मैदान तक मदरसों में न तो बुनियादी सुविधाएं हैं , न टीचर और न ही आज तक ज़रूरी इंफ्रास्ट्रक्चर ही मिल सका है। हालत ये है कि मदरसा बोर्ड को ही खत्म कर शिक्षा विभाग में मर्ज़ करने के झुनझुने से कौम की पौध को सब्ज़बाग दिखाए जा रहे हैं। यही सपने अब मौजूदा बोर्ड अध्यक्ष ने दिखाना शुरू कर दिया है। मान्यता देने के नाम पर वसूली , योजनाओं के बजट में बंदरबांट और मदरसों के ज़िम्मेदारों से मोटी कमाई का सिलसिला पुराना है जिसका जाल तोडना सबसे अहम है।
  • Modern Madrasa Uttarakhand अब बात विपक्षी कांग्रेस की करते हैं जहाँ से भी अब आवाज़ आने लगी है। उत्तराखंड कांग्रेस के मीडिया प्रभारी राजीव महर्षि ने कहा की कांग्रेस पर तुष्टिकरण का आरोप लगाने वाली भाजपा आज तृप्तिकरण पर उतर आई है। भाजपा नेता और उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स का मदरसों को आधुनिक बनाने के विचार पर मैं उन्हें शुभकामना देना चाहूंगा लेकिन उनकी आधुनिक शिक्षा की बात महज हवा हवाई है। उनकी कार्यक्षमता किसी से छिपी नहीं है। ये लोग जुबानी जमाखर्च के माहिर हैं, सिर्फ और सिर्फ जुमले उछालना ऐसे लोगों की फितरत को प्रदेश की जनता बखूबी जानती है।
Modern Madrasa Uttarakhand
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  • Modern Madrasa Uttarakhand राजीव महर्षि ने कहा कि भाजपा ने केवल शिगूफा छेड़ा है। प्रधानमंत्री मुसलमान बच्चों के एक हाथ में कुरान और एक हाथ में लैपटॉप का जुमला उछालते आ रहे हैं और आज उसी रिकॉर्ड को शादाब शम्स बजा रहे हैं। लाख टके का सवाल यह है कि भारी भरकम संसाधनों वाला वक्फ बोर्ड सिर्फ सात मदरसों में ही क्यों प्रयोग करना चाहते हैं जबकि उनके अधीन सौ से अधिक मदरसे हैं। इससे उनकी प्रतिबद्धता जाहिर हो जाती है। शादाब को पता है कि वे अपने मंसूबे में सफल नहीं हो सकते, इसलिए सिर्फ सात मदरसों को आधुनिक शिक्षा से जोड़ने की बात कर रहे हैं। बोर्ड अध्यक्ष का वास्तव में ऐसा कोई इरादा है नहीं, वे सिर्फ चर्चा में बने रहने के लिए इस तरह की जुमलेबाजी कर रहे हैं।

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