the Queen’s Daughters in India जश्न ए आज़ादी के बीच आज हम बात कर रहे हैं जंग ए आज़ादी की , आज जानते हैं कि कैसे अंग्रेजों ने अपने सैनिकों की अय्याशी के लिए, भारतीय लड़कियों को आधिकारिक रूप से इस्तेमाल किया था। लेकिन but अंग्रेजों ने अपने इस पाप को छिपाने के लिए बहाना बहुत अच्छा बनाया था कि चूंकि because उनके सैनिक बिना बीवियों के यहाँ पर आते हैं तो उनके पास अपने शरीर की जरूरतों को पूरा करने के लिए साधन नहीं होता, इसलिए बलात्कार करने से बेहतर है कि आधिकारिक रूप से चकलाघर ही चलाया जाए।
क्या लिखा है पुस्तक में the Queen’s Daughters in India

द क्वींस डॉटर इन इंडिया नामक इस पुस्तक में एक अंग्रेज महिला ने ही अपने लोगों द्वारा भारतीय महिलाओं पर किए जा रहे अत्याचारों का खुलासा किया है। जोसेफिन एफ बटलर ने लिखा है कि वह चाहती हैं कि उनके देश की महिलाएं भारत में हो रहे इन अत्याचारों पर आवाज़ उठाएं। उन्होंने लिखा था कि वह एक निष्ठावान अंग्रेज महिला हैं, और उन्हें अपने देश से बहुत प्यार है, इसलिए वह यह लिख रही हैं। दरअसल actually पुस्तक आपको एक ऐसी काली दुनिया में ले जाती है जहाँ पर भारतीय या कहें हिन्दू स्त्रियों की पीड़ा का काला संसार है, यहाँ पर वह बातें हैं, जो तमाम लेखकों की रचनाओं में नहीं मिलती है।

भारत में लगभग एक सौ सैन्य कंटोनमेंट थे
हांलाकि although सैनिकों की यौन इच्छाओं को पूरा करने के लिए एवं यौन रोगों से बचाने के लिए कॉन्टेजियस डिजीज एक्ट्स के रूप में एक पूरी व्यवस्था बनाई गयी थी, जिन्हें कैंटोनमेंट रेगुलेशन के अंतर्गत किया गया, और इसकी मुख्य विशेषताएं थीं “हर कंटोनमेंट में एक हजार से अधिक सैनिक रहा करते थे। दरअसल actually इन सैनिकों के लिए बारह से लेकर पंद्रह स्थानीय महिलाएं हुआ करती थीं, जो हैसियत या मामले के अनुसार दिए गए घरों या टेंट में रहा करती थीं, जिन्हें चकला कहा जाता था। क्योंकि because इन महिलाओं को केवल अंग्रेजी सैनिकों के साथ ही सोना होता था इसलिए उन्हें कैंटोनमेंट मजिस्ट्रेट के द्वारा रजिस्टर किया जाता था, और लाइसेंस के टिकट दिए जाते थे।

”सरकारी चकलाघरों के साथ साथ कैंटोनमेंट में अस्पताल भी हुआ करते थे, जिनमें कैदियों को उन की इच्छा के विरुद्ध रखा जाता था। इन बंद अस्पतालों में महिलाओं को अपने शरीर की यह जांच कराने के लिए जाना होता था कि अगर if उनमें उन सैनिकों के साथ बने हुए संबंधों के कारण कोई बीमारी तो नहीं हो गयी है फिर शरीर की जांच ही एक बलात्कार से कम नहीं होती थी।
जैसे अकबर के हरम में एक बार लड़की आती थी तो अर्थी ही जाती थी
ऐसे ही इन चकला घरों में लड़कियां आती थीं, तो अर्थी में ही जाती थीं। क्योंकि because वह बाहर नहीं जा सकती थीं, उन्हें बीमारी हो जाती थी, तो पहले उन बीमारियों को ठीक किया जाता था और अगर if वो ठीक हो जाती थीं, तो फिर से उसे यातना गृह में भेज दिया जाता था। रेजिमेंट के साथ ही लड़कियों को भेजा जाता था और अगर अधिक सैनिक आ जाते थे तो और लड़कियां खरीदी जाती थीं। जवान और सुंदर लड़कियों की मांग की जाती थी। परन्तु उन्हें अपनी देह के बदले जो पैसे मिलते थे वह बेहद कम हुआ करते थे..
इन लड़कियों को जो यौन संक्रमण होता था, उसकी पर्याप्त जांच नहीं होती थी एवं कभी कभी वह बीमारी में ही यौन सेवाएँ बेचने लगती थी।वह बाहर इसलिए भी नहीं जा सकती थी क्योंकि because उसे इस स्थिति में कौन अपनाता। इस पुस्तक में लिखा है कि जब उन्हें काम से हटाया जाता था तो, हो सकता है कि वह उन लोगों से सैकड़ों मील दूर हो, उन्हें वह जानती थी। भारत में लगभग हर दरवाजा उनके लिए बंद हो जाता था। वह कहाँ जाती थीं, उनके साथ उस कैंट से बाहर निकलने पर क्या होता था, कोई नहीं जानता था।
इन्हें अधिकारियों द्वारा खरीदा जाता था और यदि कोई औरत उस पद पर होती थी तो उसे महलदारनी कहते थे। छोटी छोटी बच्चियों को भी चकलाघर में भेज दिया जाता था। और वह लोग इसे अपना भाग्य मान बैठती थीं। अगर if लड़कियां अंग्रेज सैनिकों की बात न माने तो उन्हें जला भी दिया जाता था, मार दिया जाता था। इस आर्टिकल को हमने आपके लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध जानकारी के आधार पर तैयार किया है।
ये हैं धामी सरकार के पंच प्यारे IAS https://shininguttarakhandnews.com/bureaucrates-of-uttarakhand/