Malana Village History : भारत का सबसे रहस्मयी गाँव – मलाणा गाँव

Malana Village History हिमाचल के पर्वतीय क्षेत्र का एक प्राचीन गांव, जिसे उसकी अनूठी संस्कृति और परंपराओं के लिए जाना जाता है। हम बात कर रहे हैं मलाणा गांव की। मलाणा गांव हिमाचल के कुल्लू जिला के नार्थ ईस्ट में 9842 फुट की ऊंचाई पर स्थित है, जो कि अलग डेमोक्रेसी के लिए जाना जाता है। यहां का सबसे पुराना संविधान और इसका सख्त कानून अपराधियों में खौफ पैदा करता है। क्योंकि because यहां के लोग भारत का संविधान नहीं मानते हैं, यह विश्व का सबसे पुराना लोगतांत्रिक गाँव है।

 

  क्या है इस अनोखे गांव का इतिहास ? Malana Village History 

यह गांव पहाड़ों से घिरा है तथा इसकी अपनी संसद है। यहां की संसद में छोटे और बड़े सदन हैं। बड़े सदन में 11 सदस्य है, जिनमें आठ सदस्य गांव के चुने जाते हैं तथा 3 स्थायी सदस्यों में कारदार, गूर और पुजारी शामिल होते हैं। लेकिन but संसद में किसी सदस्य का निधन होने पर दोबारा गठन होता है।

मलाणा गांव में कानून बनाए रखने के लिए अपना कानून थानेदार और अन्य प्रशासनिक अधिकारी है । गांव में संसद का काम चौपाल में होता है, जिसमे छोटे सदन के सदस्य नीचे, जबकि बड़े सदन के सदस्य ऊपर बैठते हैं। सदन की बैठक के दौरान ही गांव से जुड़े सभी मुद्दों का निर्णय होता है। अगर if सदन को कोई निर्णय नहीं मिलता है, तो वह जमलू देवता ही लेते हैं। यहां लोग जमलू देवता की पूजा करते है और उन्हीं के निर्णय को आखिरी माना जाता है, लेकिन but अब हालत बदल रहे हैं।


मलाणा गांव के इतिहास को लेकर कई अलग अलग किस्से हैं हालाँकि although कुछ लोगों का मानना है कि वे आर्य हैं। यह भी कहा जाता है कि मलाणा के लोगों ने मुगल शासक अकबर को गंभीर बीमारी से बचाया था। अकबर इतना खुश हुआ कि गांव के लोगों को टैक्स देने से छूट दे दी। यह भी माना जाता है कि गांव के लोग सिकंदर महान के सैनिक के वंशज हैं। ग्रीक और यहां बोली जाने वाली कनाशी (भाषा) अलग-अलग है।क्योंकि because  कनाशी एक जुला का रूप है, जो संस्कृत और तिब्बती भाषाओं का मिश्रण है।



छूना मना है


मलाणा घूमने के लिए टूरिस्ट सिर्फ दिन में ही आ सकते हैं। क्योंकि because यहां के लोग बाहरी लोगों से हाथ मिलाने और छूने से परहेज रखते हैं। बाहर से आए लोग दुकानों का सामान नहीं छू सकते। पर्यटकों को अगर कुछ खाने का सामान खरीदना होता है, तो वह पैसे दुकान के बाहर रख देते हैं और दुकानदार भी सामान जमीन पर रख देता है। इस नियम का पालन कराने के लिए यहां के लोग इस पर कड़ी नजर रखते हैं। पर्यटकों के लिए इस गांव में रुकने की भी कोई सुविधा नहीं है। पर्यटक गांव के बाहर अपना टेंट लगाकर रात गुजारते हैं। वीडियोग्राफी, लकडिय़ां जलाना और किसी भी वस्तु को छूना सख्त मना है।
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