Indresh Hospital Orbital श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के वरिष्ठ इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ तनुज भाटिया ने अत्याधुनिक ऑरबिटल एथेरेक्टॉमी का उपयोग कर 80 वर्षीय कार्डियक मरीज को नया जीवन दिया है। ऑरबिटल एथेरेक्टॉमी हार्ट की मुख्य धमनी में जमा कैल्शियम को ब्रेक करने की अत्याधुनिक तकनीक है। देश भर में इस तरह के अभी तक 200 हार्ट रोगियों पर ही इस तकनीक का सफल इस्तेमाल हुआ है। उत्तराखण्ड में यह पहला सफल मामला दर्ज किया गया है। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के चेयरमैन श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज ने डॉ तनुज भाटिया व पूरे कॉर्डियोलॉजी विभाग को सफल प्रोसीजर पर हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं दीं।
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल का सफल प्रोसीजर Indresh Hospital Orbital

आंकडे इस बात की तस्दीक करते हैं कि 100 हार्ट ब्लॉकेज़ के मरीजों में से 10 प्रतिशत मरीजों की मुख्य धमनी में कैल्शियम जमा होने की शिकायत मिलती है। ऑरबिटल एथेरेक्टॉमी हार्ट की मुख्य धमनी में जमा कैल्शियम को ब्रेक करने की अबतक की सबसे आधुनिक तकनीक व प्रोसीजर है। यह प्रोसीजर इसलिए भी बेहद जटिल और जोखिम भरा था क्योंकि 80 वर्षीय मरीज डायलसिस पर थे और 20 साल पहले उनकी ओपन हार्ट सर्जरी भी हो चुकी है।
डॉ तनुज भाटिया ने बताया कि ऑरबिटल एथेरेक्टॉमी एक थेरेपी है जिसका उपयोग स्टेंटिंग से पहले कैल्सीफाइड ब्लॉक (प्लाक) को खोलने के लिए किया जाता है। इसमें 1.25 मिलीमीटर हीरा लेपित मुकुट है जो कैल्शियम को लगभग दो माइक्रोन आकार के बारीक कणों में विभाजित करता है और कैल्शियम में सूक्ष्म फ्रैक्चर बनाता है। डिवाइस को कम और उच्च गति पर संचालित किया जा सकता है। और इसका निर्णय रोगी की शारीरिक रचना के आधार पर किया जाता है।
देहरादून निवासी 80 बुजुर्ग मरीज़ का प्रोसीजर बेहद चुनौतीपूर्ण था। उन्हें आराम करते समय सीने म दर्द हो रहा था । एचडी इंट्रा वैस्क्यूलर अल्ट्रासाउंड जॉच में पाया गया कि उनकी दाईं पूर्वकाल की अवरोही धमनी मे गंभीर रूप से टेढ़ापन आ चुका था।ऑरबिटल एथेरेक्टॉमी डिवाइस का उपयोग करके उन्हे कैल्शियम का पृथक्करण किया गया। कैल्सीफाइड घावों का इलाज करना मुश्किल होता है क्योंकि वे कठोर होते है और पारंपरिक बैलून एंजियोप्लास्टी काम नहीं करती है। लेकिन न सिर्फ अस्पताल और चिकित्सकों के लिए बल्कि राज्य के लिए ये सफलता मील का पत्थर बन गयी है..
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