SGRR CPR Tips सीपीआर का मतलब है कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन यह भी एक तरह की प्राथमिक चिकित्सा यानी फर्स्ट एड है जब किसी पीड़ित को सांस लेने में दिक्कत हो या फिर वो सांस न ले पा रहा हो और बेहोश जो जाए तो सीपीआर से उसकी जान बचाई जा सकती है। बिजली का झटका लगने पर, पानी में डूबने पर और दम घुटने पर सीपीआर से पीड़ित को आराम पहुंचाया जा सकता है। हार्ट अटैक यानी दिल का दौरा पड़ने पर तो सबसे पहले और समय पर सीपीआर दे दिया जाय तो पीड़ित की जान बचाने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।
स्टूडेंट्स ने सीखा कैसे देते हैं सीपीआर SGRR CPR Tips

अहम मेडिकल फर्स्ट एड से जुड़े टिप्स और टेक्निक्स पर देहरादून में श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय में नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन इन मेडिकल साइंसेज के सहयोग व विश्वविद्यालय के आई.क्यू.ए.सी. सैल, स्कूल ऑफ मेडिकल, काॅलेज ऑफ नर्सिग, स्कूल ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंसेज और स्कूल ऑफ पैरामेडिकल एण्ड एलाइड हैल्थ साइंसेज ने कार्डियोपल्मोनरी रिसससाईटेशन(सी.पी.आर.)पर कॉन्फ्रेंस में विश्वविद्यालय के सभी 11 स्कूलों के 1,200 से भी अधिक छात्र-छात्राओं ने बारीकियां सीखी जिसमें एनेस्थीसिया के विभागाध्यक्ष डॉ. निशिथ गोविल और डाॅ. कुमार पराग शामिल हुए ।

इस दौरान स्टूडेंट्स ने सीखा कि अगर किसी पीड़ित को दिल का दौरा पड़ जाय तो सबसे महत्वपूर्ण है कि प्राथमिक चिकित्सा देने वाला व्यक्ति खुद ना घबराए और पूरा धैर्य रखे। किसी भी तरह की फर्स्ट एड देने से पहले एंबुलेंस को कॉल करे या फिर हॉस्पिटल को सूचित करे की आप बहुत ही कम समय में हार्ट अटैक के मरीज को लेकर वहां पहुंचने वाले हैं।
एसजीआर के अनुभवी और एक्सपर्ट्स फेकेल्टी ने बताया पीड़ित के हाल की जांच तुरंत करें। ये देखने की कोशिश करें कि मरीज होश में है कि नहीं। उसकी सांस चल रही है कि नहीं। अगर उसकी सांस चल रही है तो मरीज को आराम से बिठायें और उसे रिलैक्स कराएं। मरीज के कपड़ो को ढीला कर दे। अगर मरीज को पहले से ही हार्ट की समस्या है और वो कोई दवाएं लेता हो , तो पहले उसे वही दवा दें जो वो लेता रहा है।यदि मरीज को होश नहीं आ रहा हो, उसके दिल की धड़कने बंद हो गयी हो या साँस नहीं चल रही हो तो सीपीआर प्रक्रिया अपनाएं।
सीपीआर क्रिया करने में सबसे पहले पीड़ित को किसी ठोस जगह पर लिटा दिया जाता है और प्राथमिक उपचार देने वाला व्यक्ति उसके पास घुटनों के बल बैठ जाता है। उसकी नाक और गला चेक कर ये सुनिश्चित किया जाता है कि उसे सांस लेने में कोई रुकावट तो नहीं है। जीभ अगर पलट गयी है तो उसे सही जगह पर उंगलियों के सहारे लाया जाता है।
सीपीआर में मुख्य रुप से दो काम किए जाते हैं। पहला छाती को दबाना और दूसरा मुँह से सांस देना जिसे माउथ टु माउथ रेस्पिरेशन कहते हैं। पहली प्रक्रिया में पीड़ित के सीने के बीचोबीच हथेली रखकर पंपिंग करते हुए दबाया जाता है। एक से दो बार ऐसा करने से धड़कनें फिर से शुरू हो जाएंगी। पंपिंग करते समय दूसरे हाथ को पहले हाथ के ऊपर रख कर उंगलियो से बांध लें अपने हाथ और कोहनी को सीधा रखें।अगर पम्पिंग करने से भी सांस नहीं आती और धड़कने शुरू नहीं होतीं तो पम्पिंग के साथ मरीज को कृत्रिम सांस देने की कोशिश की जाती है।
ऐसा करने के लिए हथेली से छाती को 1 -2 इंच दबाएं, ऐसा प्रति मिनट में 100 बार करें। सीपीआर में दबाव और कृत्रिम सांस का एक खास अनुपात होता है। 30 बार छाती पर दबाव बनाया जाता है तो दो बार कृत्रिम साँस दी जाती है। छाती पर दबाव और कृत्रिम साँस देने का अनुपात 30 :02 का होना चाहिए। कृत्रिम सांस देते समय मरीज की नाक को दो उंगलियों से दबाकर मुंह से साँस दी जाती है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि नाक बंद होने पर ही मुंह से दी गयी सांस फेफड़ों तक पहुंच पाती है।
अवेयरनेस सेमिनार में श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड हेल्थ साइंसेज के प्राचार्य डाॅ. आर.के. वर्मा ने कहा कि सीपीआर को सीखना हम सब के लिए जरूरी है, क्योंकि यह वर्तमान स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की मांग है। इस दौरान कि श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डाॅ. यशबीर दीवान, कुलसचिव प्रो.डाॅ. अजय कुमार खडूडी, आई.क्यू.ए.सी सैल निदेशक डाॅ.सुमन विज, प्राचार्य, काॅलेज ऑफ़ नर्सिग डाॅ.जी.रामालक्ष्मी, डाॅ.दिव्या जुयाल, डाॅ. कृति सिंह सहित सभी स्कूलों के डीन, विभागाध्यक्ष, फैकल्टी और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।