Hemkunt Sahib 2024 : रोमांचक हेमकुंड साहिब की यात्रा

देहरादून से अनीता तिवारी की रिपोर्ट –

Hemkunt Sahib 2024 श्री हेमकुंड साहिब यानि सिक्खों के 10वें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की तपस्थली… इसे सिक्ख तीर्थों की सबसे कठिन तीर्थ यात्रा भी कहा जाता है। करीब 15 हज़ार 200 फ़ीट ऊंचे ग्लेशियर पर स्थित श्री हेमकुंड साहिब चारों तरफ से ग्लेशियर (हिमनदों) से घिरे हैं। इन्हीं हिमनदों का बर्फीला पानी जिस जलकुंड का निर्माण करता है, उसे ही हेम कुंड यानी बर्फ का कुंड कहते हैं। मान्यता है कि यहां श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने बरसों तक महाकाल की आराधना की थी। यही वजह है कि सिक्ख समुदाय की इस तीर्थ में अगाध श्रद्धा है और वे तमाम दिक्क्तों के बावजूद यहां पहुंचते हैं और हर साल श्रद्धालुओं का सैलाब यहां उमड़ता है।

 

गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब का इतिहास Hemkunt Sahib 2024

Hemkunt Sahib 2024

हिमालय में स्थित गुरुद्वारा हेमकुंड साहिब सिखों के सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है। यहां पर सिखों के दसवें और अंतिम गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह ने अपने पिछले जीवन में ध्यान साधना की थी और वर्तमान जीवन लिया था। इस जगह को यहां के स्थानीय निवासियों द्वारा बहुत ही असामान्य, पवित्र, विस्मय और श्रद्धा का स्थान माना जाता है। यहां पर स्थित झील और इसके आसपास के क्षेत्र को लोग एक नाम “लोकपाल” से भी जानते हैं, जिसका अर्थ है लोगों का निर्वाहक…

श्री हेमकुंड साहिब की खास बातें…
जब भी धरती पर सुंदरता की बात आती है तो सबसे पहला नाम कश्मीर का ही आता है, लेकिन भारत में कुछ ऐसी जगहें भी है जो किसी जन्नत से कम नहीं और ये जन्नत कश्मीर नहीं बल्कि कोई और जगह है।हम बात कर रहे हैं, सिखों की अटूट आस्था के प्रतीक श्री हेमकुंड साहिब की. उत्तराखंड के चमौली में स्थित श्री हेमकुंड साहिब 15200 फीट की ऊंचाई पर बना है। श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा 6 महीने तक बर्फ से ढका रहता है।


श्री हेमकुंड साहिब अपनी सुंदरता के लिए जाना जाता है और यह देश के सबसे महत्वपूर्ण गुरुद्वारों में से एक हैं गुरुद्वारे के पास ही एक सरोवर है। इस पवित्र जगह को अमृत सरोवर अर्थात अमृत का तालाब कहा जाता है।यह सरोवर लगभग 400 गज लंबा और 200 गज चौड़ा है। यह चारों तरफ से हिमालय की सात चोटियों से घिरा हुआ है। इन चोटियों का रंग वायुमंडलीय स्थितियों के अनुसार अपने आप बदल जाता है।

इस पवित्र स्थल को रामायण के समय से मौजूद माना गया है कहा जाता है कि लोकपाल वही जगह है जहां श्री लक्ष्मण जी अपना मनभावन स्थान होने के कारण ध्यान पर बैठ गए थे। कहा जाता है कि अपने पहले के अवतार में गोबिंद सिंह जी ध्यान के लिए यहां आए थे।गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपनी आत्मकथा बिचित्र नाटक में इस जगह के बारे में अपने अनुभवों का उल्लेख भी किया है। श्री हेमकुंड साहिब के बारे में कहा जाता है कि यह जगह दो से अधिक सदियों तक गुमनामी में रही, गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपनी आत्मकथा बिचित्र नाटक में इस जगह के बारे में बताया, तब यह अस्तित्व में आई।


दरअसल हेमकुंड एक संस्कृत नाम है जिसका अर्थ है – हेम (“बर्फ”) और कुंड ( “कटोरा”) है। दसम ग्रंथ के अनुसार, यह वह जगह है जहां पांडु राजा अभ्यास योग करते थे।इसके अलावा दसम ग्रंथ में यह कहा गया है कि जब पाण्डु हेमकुंड पहाड़ पर गहरे ध्यान में थे, तो भगवान ने उन्हें सिख गुरु गोबिंद सिंह के रूप में यहां पर जन्म लेने का आदेश दिया था।पंडित तारा सिंह नरोत्तम जो उन्नीसवीं सदी के निर्मला विद्वान थे। हेमकुंड की भौगोलिक स्थिति का पता लगाने वाले वो पहले सिख थे, श्री गुड़ तीरथ संग्रह में जो 1884 में प्रकाशित हुआ था, इसमें उन्होंने इसका वर्णन 508 सिख धार्मिक स्थलों में से एक के रूप में किया है।

चारधाम यात्रा प्रबंधन कमेटी गठन के निर्देश https://shininguttarakhandnews.com/chardham-committee/

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