Uttarakhand Forest साल 2022 में आदमखोर के हमलों में 82 लोग मारे गए. जबकि 325 लोग घायल हुए. वहीं, 2023 में 66 लोगों की मौत हुई तो 325 घायल हुए. जुलाई माह 2024 से अब तक 29 लोगों की जान जा चुकी है. जबकि 148 लोग घायल हुए हैं. ये वो आंकड़े हैं जो बताते हैं कि हर साल आदमखोर बाघ के आबादी में घुसकर लोगों को शिकार बनाने के मामले सामने आते हैं. ये बाघ जंगल से निकाल कर वन्यजीव आबादी वाले इलाकों में घुस जाते हैं और फिर इंसानों को अपना निवाला बनाते हैं, लेकिन अब घटनाओं पर नियंत्रण किया जा सकेगा.
उत्तराखंड वन विभाग नई तकनीक करेगा लांच Uttarakhand Forest
वन विभाग की इस पहल से बाघ , हाथी या तेंदुए के जंगल से बाहर आबादी वाले इलाकों में कदम रखते ही विभाग को इसकी जानकारी मिल जाएगी. इसके लिए दुनियाभर में क्रांतिकारी रूप से प्रचलित हो रही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक का उपयोग किया जाएगा.दरअसल, बढ़ती मानव और वन्यजीव के संघर्ष की घटनाओं को देखते हुए कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में एआई का ट्रायल लगभग 10 दिन पहले शुरू किया गया था. इस पर वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अगर यह प्रयोग कामयाब रहा तो दूसरे संवेदनशील इलाकों में इसका प्रयोग किया जाएगा. वन विभाग में पहली बार एआई (AI) तकनीक का प्रयोग करते हुए कदम बढ़ाया है.
वहीं, वन्यजीव प्रमुख और वन संरक्षक समीर सिन्हा ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि जंगल से लगे रिहायशी इलाकों में एआई (AI) टेक्नोलॉजी और मॉडर्न कैमरा ट्रैप के माध्यम से वन्यजीवों की मॉनिटरिंग की जाएगी. इससे पहले लोकेशन के साथ-साथ वन्य जीव की फोटो क्लिक हुआ करती थी और फिर चिप निकालनी पड़ती थी. जबकि नए कैमरे में मेमोरी और बैटरी काफी बेहतर है. यह कैमरे सिम और इंटरनेट सपोर्टिव है, जो क्लिक होने के बाद एक स्थान से दूसरे स्थान पर इंटरनेट के जरिए ही भेजे जा सकते हैं.वन्य जीव जंगल से बाहर आते हैं. ऐसे में कैमरे पर क्लिक होने वाली तस्वीरें सर्वर पर पहुंचेंगी. जहां AI क्लिक उसकी फोटो क्लिक कर विभाग को अलर्ट कर देगा. विभाग की क्विक रिस्पांस टीम के साथ-साथ ग्रामीणों को भी अलर्ट किया जा सकेगा. यानी तकनीकी का भरपूर इस्तेमाल करते हुए न सिर्फ मानव वन्य जीव संघर्ष रोका जा सकेगा बल्कि जान भी बचाई जा सकेगी
कुत्ता कह कर गाँव वालों ने जमकर पीटा और ….. https://shininguttarakhandnews.com/issuru-village/