World Circus Day 2025: जेन जी और अल्फा जनरेशन का भले ही सर्कस से दूर-दूर तक कोई वास्ता न हो, लेकिन एक समय तक सर्कस हम भारतीयों के लिए मनोरंजन का सबसे बड़ा ठिकाना होता था. बच्चों से लेकर बूढ़े तक अपने शहर में सर्कस लगने का इंतजार किया करते थे और टिकट लेकर परिवार और दोस्तों के साथ यहां आते थे. आप सोच रहे होंगे कि अचानक हम सर्कस की बातें क्यों करने लगे. दरअसल, हर साल अप्रैल के तीसरे शनिवार को विश्व सर्कस दिवस (World Circus Day) मनाया जाता है.
इस बार विश्व सर्कस दिवस 19 अप्रैल को मनाया जा रहा है. यह सर्कस कलाकारों, उनके कौशल और मनोरंजन के प्रति उनके समर्पण को सही सम्मान देने का दिन है. ऐसे में आइए हम आपको सर्कस के इतिहास से रूबरू कराते हैं…
हजारों साल पुराना है सर्कस का इतिहास
सर्कस(World Circus Day 2025) और जोकरों का इतिहास हजारों साल पुराना है. कहा जाता है कि इसकी शुरुआत रोम से हुई और सर्कस में जोकरों के इस्तेमाल के पहले सबूत 2200 ईसा पूर्व मिस्र में देखने को मिलते हैं. ग्रीस और रोम में जोकरों का इस्तेमाल शाही दरबारों में होता था. ये जोकर इन दरबारों में लोगों को हंसाने का काम करते थे और इनकी वेशभूषा से लेकर हावभाव भी काफी अलग होते थे, जिसे देखकर किसी के भी चेहरे पर मुस्कान आ जाती थी. कहा जाता है कि प्राचीन ग्रीस में जोकर गंजे हुआ करते थे और खुद को बड़ा दिखाने के लिए गद्देदार कपड़े पहनते थे. वहीं, रोम में जोकर नुकीली टोपियां पहना करते थे.
आधुनिक सर्कस की यहां से हुई शुरुआत
आधुनिक सर्कस की शुरुआत का श्रेय फिलिप एस्टली को दिया जाता है. उनका जन्म 1742 में इंग्लैंड में हुआ था. कहा जाता है कि एस्टली घुड़सवारे थे और वे कभी घोड़े की पीठ पर खड़े होकर तो कभी और तरीके से लोगों को करतब दिखाया करते थे. हालांकि, एस्टली से पहले और भी लोग थे जो ऐसे करतब करते थे, लेकिन एस्टली पहले व्यक्ति थे जिन्होंने इन करतबों को दिखाने के लिए 1768 में एम्फीथिएटर स्थापित किया था और एक ऐसा स्थान बनाया जहां लोग उनका शो देखने के लिए इकट्ठा हुआ करते थे. धीरे-धीरे एस्टली ने लोगों का मनोरंजन करने के लिए तलवार प्रदर्शन, कलाबाजी को भी इसमें जोड़ा. इसी दौरान लोगों को हंसाने के लिए जोकर को भी काम पर रखा गया और यहीं से सर्कस(World Circus Day 2025) की शुरुआत हुई.
भारत में भी मशहूर रहे हैं कई सर्कस
भारत में सर्कस हमारी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा रहा है और इसने देश को कई मशहूर सर्कस कलाकार दिए हैं, जिन्होंने अपने करतबों और कलाबाजियों से पीढ़ियों तक लोगों का मनोरंजन किया है. इन्हीं में से एक है ‘ग्रेट बॉम्बे सर्कस’ यह भारत में स्थापित सबसे पुरानी सर्कस कंपनियों में से एक है. 1920 में स्थापित ग्रेट बॉम्बे सर्कस कलाबाजियों और जानवरों के अद्भुत करतबों के लिए प्रसिद्ध है. वहीं 1951 में स्थापित जेमिनी सर्कस ने भी पीढ़ियों तक भारतीयों का मनोरंजन किया है. इस सर्कस में हाथी, घोड़ों और बाघ जैसे जानवरों का इस्तेमाल करतब दिखाने के लिए किया जाता था. इसके बाद 1991 में स्थापित रैम्बो सर्कस भी लंबे समय तक लोगों का मनोरंजन करता रहा.