देहरादून से आशीष तिवारी की रिपोर्ट –
Badhal School स्मार्ट क्लास … शानदार स्कूल और स्टूडेंट्स के लिए सुरक्षित कैम्पस , जी हाँ दावा तो शिक्षा मंत्री डॉक्टर धन सिंह रावत यही करते हैं विभाग के अफसर भी मोटे बजट खर्च की बात भी बताते हैं लेकिन असल हकीकत है क्या ? ये सवाल इसलिए जनता पूछ रही है क्योंकि उत्तराखंड में मौसम बारिश और आफत की आपदा अक्सर जानमाल के लिए बड़ा खतरा बनी रहती है। ऐसे में पहाड़ों और जिलों में आज भी एक खतरा बराबर सर पर मंडराता रहता है और वो है जर्जर स्कूलों का वो भवन जहाँ बच्चे रोजाना पढ़ाई के लिए इकट्ठा होते हैं। तमाम योजनाओं , दावों और आदेशों के बाद भी आज राज्य के कई जिलों में जर्जर स्कूल भवन बच्चों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
बच्चों की सुरक्षा को गंभीर खतरा Badhal School
बारिश के इस मौसम में कई विद्यालयों की छतें टपक रही हैं, कुछ स्थानों पर पानी छतों पर भर गया है और कई स्कूल परिसरों में सुरक्षा दीवारें तक नहीं हैं, जिससे भूस्खलन का खतरा बना हुआ है।देहरादून जिले के रायपुर, विकासनगर, चकराता और कालसी क्षेत्र के कई स्कूल ऐसे हैं, जहां लंबे समय से भवनों की मरम्मत नहीं हुई है। प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष धर्मेंद्र रावत का कहना है कि इन क्षेत्रों में बच्चों को रोजाना खतरे के बीच पढ़ाई करनी पड़ रही है। वहीं शहरी इलाकों में जलभराव से शैक्षिक गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं। अभिभावकों का भी कहना हैं की बच्चों को स्कूल भेजने के सिवा कोई विकल्प नहीं है लेकिन किसी अनजाने खतरे से उनका दिल घबराता ही रहता है।
शिक्षक संगठनों ने दी चेतावनी
जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विनोद थापा ने बताया कि बारिश के समय विद्यालय भवनों की दयनीय स्थिति से बच्चों की सुरक्षा को गंभीर खतरा है। संगठन ने लंबे समय से मरम्मत और पुनर्निर्माण की मांग की है। उन्होंने सुझाव दिया कि बरसात के मौसम को ध्यान में रखते हुए जून की छुट्टियों को जुलाई में समायोजित किया जाना चाहिए।
प्रशासन की स्थिति स्पष्ट
माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती ने जानकारी दी कि माध्यमिक स्तर पर राज्य में केवल 19 भवनों को जर्जर घोषित किया गया है। इनमें से कई को पहले ही ध्वस्त कर नए भवन बनाए जा चुके हैं। अधिकारियों को यह निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी हालत में जर्जर भवनों में छात्रों को न बैठाया जाए और आवश्यक वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
जिलेवार जर्जर भवनों की संख्या
पिथौरागढ़: 163
अल्मोड़ा: 135
टिहरी: 133
नैनीताल: 125
पौड़ी: 107
देहरादून: 84
ऊधमसिंहनगर: 55
हरिद्वार: 35
रुद्रप्रयाग: 34
चमोली: 18
चंपावत: 16
उत्तरकाशी: 12
बागेश्वर: 6
सुरक्षा के लिए निर्देश जारी
शिक्षा महानिदेशक दीप्ति सिंह ने सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि किसी भी क्षतिग्रस्त कक्ष, दीवार या भवन में छात्रों को न बैठाया जाए। साथ ही, बरसात के दौरान विद्यालयों के पास बहने वाले नालों के निकट विशेष सतर्कता बरती जाए और स्कूल परिसर में पानी एकत्र न होने देने के उपाय सुनिश्चित किए जाएं। उम्मीद की जानी चाहिए की शिक्षा मंत्री और विभाग संवेदनशीलता के साथ इस गंभीर खतरे को रोकने के लिए जल्द प्रभावी कदम उठाएगा ,