Tharali Rescue : बची जान…पर दो रोटी, कपड़ा और मकान

Tharali Rescue थराली तहसील के 15 किमी क्षेत्र में आई आपदा में कई मकान और दुकानें मलबे के ढेर में तब्दील हो चुकी हैं। अकेले थराली के चेपड़ों कस्बे में सोमवार तक 96 परिवारों की सूची प्रशासन ने तैयार की थी जिसमें कई लोगों के मकान और दुकानें दोनों शामिल हैं। वहीं लोअर थराली में बारह से अधिक दुकानें क्षतिग्रस्त हैं। ऐसे में इन व्यापारी रोजी रोटी के संकट के साथ ही बच्चों की पढ़ाई और घर में बुजुर्गों की दवा का खर्चा कैसे उठाएंगे इसकी चिंता बनी है।

22 अगस्त की रात को आए सैलाब ने थराली मुख्यालय के आस पास के कस्बों में जमकर कहर बरपाया। चेपड़ों गदेरे के उफान ने चेपड़ों बाजार को मलबे के ढेर में बदल दिया। यहां वीडियोग्रॉफी सहित इससे संबंधित अन्य काम करने वाले भरत सिंह का कहना है कि दुकान से उनका घर चलता था लेकिन मलबे में कंप्यूटर सहित सभी सामान दब गया।चेपड़ों में ही हार्डवेयर का कारोबार करने वाले दर्शन बताते हैं कि वो बीते डेढ़ दशक से यहां कारोबार करते हैं। उनके बच्चे बाहर पढ़ाई कर रहे हैं। दुकान से उनका घर ही नहीं बल्कि बच्चों की पढ़ाई के लिए भी पैसा कहां से आएगा यह सवाल बना है। थोक एवं फुटकर विक्रेता लक्ष्मी प्रसाद जोशी ने कहा कि उनकी परचून की दुकान थी।

करीब 30 से 35 लाख का सामान दुकान में था। दुकान खत्म होने के बाद वो सड़क पर आ गए। बच्चे पढ़ाई करते हैं। यहां किराये पर दुकान चलाने वाली कमला देवी कहती हैं कि उनकी दुकान में केवल मलबा बचा है। अब आगे की रोजी रोटी का संकट खड़ा गया है। यही नहीं कई परिवारों में बच्चों की पढ़ाई से लेकर बुजुर्गों की दवा के पैसे कैसे आएंगे इसको लेकर चिंता है।

चेपड़ों में शुरू हुई सामुदायिक रसोई Tharali Rescue

चेपड़ों के आपदा प्रभावितों के लिए राजकीय प्राथमिक स्कूल में राहत शिविर बनाया गया है। यहां सोमवार को आपदा प्रभावितों की संख्या 55 पहुंच गई है जिनके लिए भोजन की व्यवस्था के लिए यहां प्रशासन ने सामुदायिक रसोई बनाई है। तहसीलदार अक्षय पंकज ने बताया कि सामुदायिक रसोई में खाद्यान्न सामग्री सहित अन्य व्यवस्थाएं प्रशासन ने उपलब्ध कराई है। जहां प्रभावित ग्रामीण स्वयं भोजन तैयार करेंगे।

लोगों के पास पहचान का भी बना संकट

कोटडीप थराली में मलबा आने से बारह से अधिक मकान क्षतिग्रस्त हैं। इन मकानों में रहने वाले लोगों के दस्तावेज भी मलबे में समा गए। यहां जय सिंह के परिवार के आधार कार्ड, सहित बच्चों के दस्तावेज भी नहीं बचे। 23 वर्षीय संदीप सिंह ने बताया कि उनके शैक्षणिक दस्तावेज भी इस आपदा में गुम हो गए। सावित्री देवी ने बताया कि उनके कपड़े, जेवर जो भी थे सभी सैलाब बहा ले गया। थराली में संचालित जलसंस्थान अवर अभियंता कार्यालय मलबे के ढेर तब्दील हो गया। मलबे ने कार्यालय में रखी सामग्री सहित सरकारी दस्तावेज पूरी तरह नष्ट हो गए