Badrinath Dham उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में अलकनंदा नदी के किनारे ब्रदीनाथ धाम स्थित है. यह भारत के सबसे पवित्र और प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है. इसे चारधाम और छोटे चार धाम यानी हिमालयन चार धाम दोनों यात्राओं में शामिल किया जाता है.बद्रीनाथ धाम में भगवान विष्णु निवास करते हैं. माना जाता है कि भगवान विष्णु ने यहां बदरी वृक्ष के नीचे तपस्या की थी, इसलिए इस जगह का नाम बद्रीनाथ पड़ा.आपको जानकार हैरानी होगी कि बद्रीनाथ धाम में कोई भी कुत्ता भौंकता नजर नहीं आता है. केवल कुत्ता ही नहीं, बल्कि आकशीय बिजली चमकेगी लेकिन कड़केगी नहीं, बादल बरसेगा लेकिन गरजेगा नहीं और इसके पीछे का कारण काफी ज्यादा रोचक है.
बद्रीनाथ धाम में भगवान विष्णु ध्यान मुद्रा में है Badrinath Dham
चार धामों में से एक बद्रीनाथ धाम भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू तीर्थस्थल है। यह धाम हिमालय पर्वत श्रृंखला में अलकनंदा नदी के किनारे 3,133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां स्थित भगवान विष्णु का मंदिर हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण पूजा स्थल और आस्था के केंद्र के रूप में जाना जाता है।अलकनंदा नदी बद्रीनाथ से होकर बहती है, जिसे हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। यह क्षेत्र हिमालय की खूबसूरती से घिरा हुआ है, जो न केवल श्रद्धालुओं बल्कि पर्यटकों को भी आकर्षित करता है। बद्रीनाथ धाम की प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ इस स्थान से जुड़े कई रहस्य भी प्रचलित हैं।
बद्रीनाथ से जुड़ी एक रोचक मान्यता यह है कि यहां कुत्ते कभी नहीं भौंकते। पौराणिक कथा के अनुसार, कुत्ता भगवान विष्णु से जुड़ा हुआ माना जाता है। कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने बद्रीनाथ में नारायण के रूप में अवतार लिया था और उन्होंने कुत्तों को यह श्राप दिया था कि वे यहां कभी भौंक नहीं सकते। एक अन्य मान्यता यह भी है कि बद्रीनाथ में कुत्तों को भगवान के सेवक के रूप में देखा जाता है और उन्हें शांति से रहने का आदेश दिया गया है। इसलिए, बद्रीनाथ धाम में कुत्ते शांति से रहते हैं और भौंकते नहीं हैं।बद्रीनाथ धाम में यह मान्यता है कि यहां पाए जाने वाले सांप और बिच्छुओं में जहर नहीं होता, जो एक पौराणिक और सांस्कृतिक विश्वास के रूप में प्रचलित है। इसके पीछे कुछ पौराणिक कथाएं हैं।
कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने बद्रीनाथ में नारायण के रूप में अवतार लिया था और उन्होंने सांपों और बिच्छुओं को जहर न रखने का आशीर्वाद दिया, जिससे भगवान बद्रीनाथ के शरण में आये किसी भी भक्त को कष्ट न हो। तभी से ऐसा माना जाता है कि बद्रीनाथ में मौजूद सांपों और बिछुओं में जहर नहीं है।स्थानीय लोगों का भी मानना है कि बद्रीनाथ धाम में सांप और बिच्छू जहर नहीं रखते, क्योंकि यह एक अत्यंत पवित्र स्थान है। इसके अतिरिक्त, बद्रीनाथ धाम के प्राकृतिक वातावरण में संतुलन होता है, जिससे यहां के सांप और बिच्छू जहर नहीं रखते हैं।