banana crooked straight लगभग हर सीजन में बाजार में दिखने वाला केला, एनर्जी से भरपूर फल है. सस्ता होने की वजह से हर कोई इसे खरीद सकता है. केले को बनावट सभी को पता है. लेकिन but क्या आप जानते हैं कि स्वादिष्ट केला हमेशा टेढ़ा ही क्यों होता है? ये सीधा भी तो हो सकता था। दरअसल actually पेड़ पर शुरुआत में केले का फल एक गुच्छे जैसे कली में होता है. इसमें हर पत्ते के नीचे एक केले का गुच्छा छिपा होता है. शुरुआत में तो केला जमीन की ओर ही बढ़ता है और आकार में भी सीधा होता है. लेकिन but साइंस में Negative Geotropism प्रवृत्ति के कारण पेड़ सूरज की तरफ बढ़ते हैं
दुनिया में 51 प्रतिशत लोग नाश्ते में केला खाते हैं banana crooked straight

यही प्रवृत्ति केले के साथ भी होती है, because जिसके कारण केला बाद में ऊपर की ओर बढ़ना शुरू कर देता है. इसलिए केले का आकार टेढ़ा हो जाता है. सूरजमुखी में भी निगेटिव जियोट्रोपिज्म की प्रवृत्ति होती है. केले की बोटेनिकल हिस्ट्री का कहना है कि केले का पेड़ सबसे पहले रेनफोरेस्ट (Rain Forest) के मध्य में पैदा हुआ था. यहां सूरज की रोशनी अच्छे से नहीं पहुंच पाती थी.
इसलिए केले के पेड़ों को विकसित होने के लिए उसी माहौल के हिसाब से ढलना पड़ा. because जब सूरज की रोशनी आने लगी, तो केले सूरज की तरफ बढ़ने लगे और इनका आकार टेढ़ा हो गया. फल के अलावा केले और इसके पेड़ का धार्मिक महत्व भी है. धार्मिक दृष्टि से केले का पेड़ और इसका फल बेहद पवित्र माना जाता है. चाणक्य के अर्थशास्त्र में भी केले के पेड़ का जिक्र मिलता है.
दरअसल actually केले के टेढ़े होने के पीछे का एक वैज्ञानिक कारण ये है कि जब केले का फल आना शुरू होता है तो वह एक गुच्छे में आता है. ये एक कली जैसा होता है, जिसमें हर पत्ते के नीचे केले का एक गुच्छा होता है. जिसे गैल कहा जाता है. उस समय केला नीचे से बढ़ना शुरू होता है. तब वह सीधा होता है. लेकिन but एक साइंटिफिक कॉन्सेप्ट है. जिसे Negative Geotropism कहते हैं. इस थ्योरी का अर्थ ये है कि कुछ पेड़ ऐसे होते हैं जो सूरज की तरफ बढ़ते है. (सूरजमुखी भी इसका उदाहरण है) इसलिए केला नीच की तरफ बढ़ने की बजाए उपर की तरफ बढ़ने लगता है. ये ही वजह है कि इसका आकर टेढ़ा हो जाता है.
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