Benefits of Walking यदि आप सचमुच स्वास्थ्य चाहते हैं और छोटी-मोटी बीमारियों को लेकर डॉक्टरों के चक्कर लगाना पसंद नहीं करते तो यह लेख आपके लिए है। अपने स्वस्थ रहने की आदतों में आज से एक और आदत ‘नंगे पैर चलने’ को शामिल कर लीजिए क्योंकि कुछ देर खाली पैर चलने से जीवन में सकारात्मक बदलावों को आप प्रत्यक्ष महसूस कर पाएंगे।
शोधकर्ताओं ने गतिविधि के स्तर को 4 श्रेणियों में विभाजित किया था। सबसे कम सक्रिय लोग प्रति दिन 50 मिनट पैदल चल रहे थे, अगला समूह 80 मिनट, तीसरा समूह 110 मिनट और सबसे सक्रिय समूह 160 मिनट।अध्ययन में पाया गया, जो लोग नियमित रूप से अधिक पैदल चलते हैं, वे 5.3 साल ज्यादा जीते हैं। इससे उनकी जीवन प्रत्याशा 84 वर्ष तक बढ़ सकती है। कम सक्रिय लोग देर तक पैदल चलकर 11 साल अधिक जी सकते हैं।
पैरों के तलवों में शरीर के हर अंग से संबंधित एक्यूप्रेशर रिफ्लेक्स प्वाइंट होते हैं। चलते हुए जब हमारे पांव ऊबड़-खाबड़ खुरदरी जमीन पर पड़ते हैं तो शरीर के वजन की दबाव से अनजाने में इन रिफ्लेक्स पॉइंट्स पर प्रेशर पड़ता है और उनसे संबंधित शरीर के अंगों को लाभ मिलता है, उनकी तकलीफ दूर होती है। हांलाकि यदि आपने कभी एक्यूप्रेशर के फायदों को अनुभव किया है तो आप इसे अच्छी तरह समझ सकते हैं।
आंखों की रोशनी बढ़ती है
बुजुर्गों के मुंह से प्रायः आपको भी सुनने को मिला होगा कि खुले पांव घास पर चलने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। तलवे में, पांव के अंगूठे के बाद वाली दोनों उंगलियों की जड़ में आंख के एक्यूप्रेशर रिफ्लेक्स पॉइंट्स होते हैं। अगर चलते हुए जब पंजे उठते हैं तो उनपर सहज दबाव पड़ता है और इससे हमारी आंखों को फायदा मिलता है।
अनिद्रा दूर होती है और अच्छी नींद आती है
नियमित कुछ देर नंगे पैर चलने से नींद अच्छी आती है। गावों के अनुभवी बुजुर्ग आज भी अनिद्रा की बीमारी में खुले पैर चलने की सलाह देते हैं। आप भी आजमाकर देखें ! नंगे पैर चलते हुए दोनों पैरों का सही संतुलन बनाने में मदद मिलती है। हमेशा जूते या सैंडल पर चलने से पैरों की पैरों के मौलिक संतुलन के साथ-साथ हमारे पैरों की कुदरती बनावट भी प्रभावित हो जाती है। रोज कुछ देर नियमित नंगे पांव चलने से इसमें सुधार होता है
ध्यान एकाग्र होता है, मानसिक सजगता बढ़ती है
नंगे पांव चलना हमारी एकाग्रता और सजगता को बढ़ाता है। जब हम खुले पांव जमीन पर चल रहे होते हैं तब अधिक सावधानी से संभल कर कदम रखते हैं, क्योंकि हमें आपने पांवों की चिंता रहती है। हम उन्हें नुकीले कंकड़-पत्थरों और कांटों जैसी चुभने वाली चीजों से बचाकर चलते हैं। कुछ देर की इस एकाग्रता और जमीन की खुरदरी तकलीफ का अहसास हमें एक समृद्ध अनुभव देता है। हमारे अंदर धैर्य, सहनशीलता और ठोस भाव विकसित होते हैं।
पंजों का विकास होता है, पैर और टांगे मजबूत बनती हैं
बचपन से लगातार जूते या सैंडल पहनने से पैर के पंजे को पूरी तरह विकसित नहीं हो पाते। चलते हुए उन्हें मुड़ना चाहिए उतना मुड़ नहीं पाते। ऐसे में नंगे पांव चलने से उनका व्यायाम हो जाता है। पैर की उंगलियों, पंजों, एड़ियों टखनों और पिंडलियों की मांसपेशियां मजबूत बनती है और कुछ मिलाकर हमारी टांगे स्वस्थ और मजबूत बनती हैं।
पृथ्वी के Electromagnetism से शरीर दुरुस्त होता है
नंगे पैरों का धरती को स्पर्श करने से हमारा शरीर पृथ्वी के प्रत्यक्ष संपर्क में आता है क्योंकि पृथ्वी के चुंबकीय प्रेरण से शरीर के तत्वों को प्रभावित होने का अवसर मिलता है। शरीर को पृथ्वी के प्रत्यक्ष संपर्क में लाने का अवसर धरती पर खुले पैरों से चलकर ही मिल सकता है। हालांकि कोई और व्यावहारिक तरीका नहीं है जिससे हम शरीर को कुछ देर मिट्टी के खुले संपर्क में रख पाएं।
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