स्वतंत्रता के लिए प्रेरित किया Bina Das

बीना दास की मां सरला देवी ने कलकत्ता में ‘पुण्य आश्रम’ नाम का एक महिला हॉस्टल चलाया था, जो क्रांतिकारियों के लिए बम और हथियारों के भंडार के रूप में भी काम करता था. इस हॉस्टल में रहने वाले कई लोग क्रांतिकारी थे. इस हॉस्टल में ही बीना की शुरुआत ट्रेनिंग हुई थी. बीना को प्यार से ‘अग्निकन्या’ कहा जाता था. उनके पिता बेनी माधब दास भी एक प्रोफेसर थे, उन्होंने अपने कई छात्रों को भारत की स्वतंत्रता के लिए प्रेरित किया और उनके सबसे प्रसिद्ध छात्र थे… सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose).अपने कॉलेज के दिनों में उन्होंने क्रांति और स्वतंत्रता के बारे में प्रेरणादायक कहानियां और किताबें पढ़ना शुरू किया. इसी दौरान उन्होंने साइमन कमीशन के खिलाफ अपना विरोध प्रदर्शन शुरू किया. यह दास के लिए ब्रिटिश दमन के खिलाफ जीत का पहला स्वाद था.


दास ने गवर्नर को गोली से उड़ाने के लिए साथी महिला क्रांतिकारी कमला दासगुप्ता से हथियार लिए थे, जो युगांतर समूह से जुड़ी थीं. बीना ने गवर्नर स्टेनली जैक्सन पर पांच गोलियां चलाई थीं. हालांकि, गोलियां उनके लक्ष्य से चूक गईं और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. लेकिन इस घटना ने पूरे देश में सनसनी फैला दी और बीना दास ब्रिटिश अत्याचार के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक बन गईं.गवर्नर की हत्या की कोशिश में 9 साल की कठोर सजा के बाद जेल से बाहर आने वाली बीना दास के लिए दुनिया भले ही थोड़ी बदल चुकी थी, लेकिन देशभक्ति बिल्कुल वैसी ही थी.
बुरी हालत में शव ऋषिकेश में मिला था
मीडिया रिपोर्ट की माने तो कुछ रिपोर्ट बताती हैं कि दिसंबर 1986 में उनकी मृत्यु घोर गरीबी और अभाव में हुई. दिसंबर 1986 में जब उनका देहांत हुआ, तब उनका शव उत्तराखंड के आध्यात्मिक शहर ऋषिकेश में मिला था. शव बहुत बुरी हालत में था. इस शव को पहचानने में भी हफ्तों लग गए कि क्या ये 21 साल की उम्र में अंग्रेज गवर्नर पर गोलियां चलाने वाली भारत की महान वीरांगना की बीना दास की थीं. वर्ष 2012 में कलकत्ता विश्वविद्यालय ने उन्हें वह डिग्री प्रदान की जो ब्रिटिश गवर्नर पर गोली चलाने के बाद से लंबित थी.भारत की आज़ादी में कुर्बानियां देने वाली वीरांगना को श्रद्धांजलि ….