boys marriage together बारिश के देवता इंद्रदेव को खुश करने के लिए दो लड़कों ने एक-दूसरे से शादी कर ली। शादी समारोह कर्नाटक के मांड्या जिले के कृष्णराजपेट तालुका के गंगेनहल्ली गांव में हुआ। गांव वालों ने बताया कि कर्नाटक के कई हिस्सों में पिछले साल की तुलना में बहुत कम बारिश हुई है। बारिश के लिए गांव वालों ने पारंपरिक टोटके को आजमाया। एक लड़के को दूल्हा और दूसरे को पूरे श्रृंगार के साथ दुल्हन बनाया गया। फिर दोनों की शादी करा दी। इस मौके पर गांव वालों को दावत दी गई।
boys marriage together भारत में आजमाए जाते हैं अलग-अलग टोटके

boys marriage together मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में अच्छी बारिश के लिए लोग गधे पर एक बच्चे को बैठाकर लोग शीतला माता के मंदिर पहुंचते हैं, जहां देवी को महिलाएं जल अर्पण करती हैं। माना जाता है कि इस टोटके के बाद झमाझम बारिश होती है। मानसून में अच्छी वर्षा के लिए मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और ओडिशा में मेंढक और मेंढकी की शादी लोकप्रिय है। लोग पारंपरिक तरीके से मेंढक और मेंढकी की शादी कराते हैं। शादी के बाद उन्हें तालाब और कुएं भी छोड़ दिया जाता है।
boys marriage together मध्य प्रदेश में कई इलाकों में ये करते हैं लोग
boys marriage together मध्यप्रदेश के कई इलाकों में भक्त शिवलिंग को जल में डुबोकर रखते हैं। एमपी के धार इलाके में तो लोग जीवित शख्स की शव यात्रा निकालते हैं। लोगों का मानना है कि इन टोटकों से बारिश के देवता इंद्रदेव प्रसन्न होते हैं और फिर बारिश से फसल धन-धान्य से फल-फूल जाती है। मध्यप्रदेश और बिहार के कई हिस्सों में टोटके के लिए खाली मटके को मंदिर में गाड़ते हैं.
बिहार के मिथिलांचल और यूपी के अवध इलाके में भी इंद्रदेव से बारिश की गुजारिश के लिए एक अजीब परंपरा है। यहां बारिश के लिए महिलाएं खेत में हल चलाती हैं। इस मान्यता के पीछे की कहानी है कि त्रेता युग में एक बार भीषण अकाल पड़ा। मिथिला के राजा जनक ने इंद्र को प्रसन्न के लिए खुद हल लेकर खेतों में चल पड़े। उन्होंने अपनी पत्नी के साथ हल चलाया और इसके बाद खूब बारिश हुई। ऐसी ही घटना में उन्हें माता सीता जमीन के अंदर मिली।
boys marriage together अच्छी बारिश के लिए यज्ञ-हवन
boys marriage together पंजाब, हरियाणा और गुजरात में अच्छी बारिश के लिए लोग यज्ञ-हवन करते हैं। राजस्थान के मेवाड़ इलाके में बारिश की कामना करते हुए महिलाएं बड़ा सुंदर तरीका अपनाती हैं। इन इलाकों की महिलाएं खुले में दाल-बाटी बनाती हैं और फिर लोगों में बांटकर खाती हैं। इसे सामूहिक प्रसादी की परंपरा कहते हैं। इसके अलावा महिलाएं गांव के बॉर्डर पर गोबर और पानी से भरी मटकी भी फोड़ती है। ऐसा कर वह इंद्रदेव को बारिश के लिए न्योता देती हैं।
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