देहरादून से अनीता आशीष तिवारी की रिपोर्ट –

Bureaucracy in Uttarakhand स्मार्ट सिटी देहरादून को चंद दिनों बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्तराखंड की युवा धामी सरकार के सबसे बड़े इवेंट ग्लोबल इन्वेस्टर समिट की मेजबानी करनी है। दून वो शहर है जिसे मोदी धामी सरकार ने स्मार्ट सिटी बनाने का बीड़ा उठाया और धीरे धीरे देहरादून स्मार्ट सिटी बनने की ओर आगे बढ़ रहा है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस जिले की कमान अनुभवी और जवाबदेह अफसर के हाथों में देते रहे हैं। प्रशासनिक अमला हो , पुलिस महकमा हो या फिर अन्य कोई भी विभाग , राजधानी में ड्यूटी करना मतलब सीधे सरकार की नजर में रहते हुए रिजल्ट्स देना और जवाबदेही को तय करना माना जाता है। ऐसे में ब्यूरोक्रेसी को सही और उसकी काबिलियत के हिसाब से एडजस्ट करना भी सरकार की विकास रफ्तार को तय करती है। लेकिन लगभग 100 दिन होने के बाद भी राजधानी देहरादून को अभी तक अदद स्थाई एडीएम (प्र) नहीं मिल सका है।
एडीएम की खाली कुर्सी पोलिटिकल पैरालिसिस का नतीजा – कांग्रेस Bureaucracy in Uttarakhand

उत्तराखंड कांग्रेस राजधानी में लम्बे समय से एडीएम (प्र) की नियुक्ति न होने को पोलिटिकल पैरालिसिस सिचुएशन बताती है। प्रदेश कांग्रेस के सीनियर उपाध्यक्ष सूर्यकान्त धस्माना ने शाइनिंग उत्तराखंड न्यूज़ से बात करते हुए कड़े शब्दों में कहा की लगता है अफसरों में यस मैन ढूंढा जा रहा है लेकिन मनमुताबिक अफसर मिल नहीं पा रहा है। वहीँ ये हालत जब राजधानी की है तो पहाड़ों में अफसरों की क्या हकीकत होगी इसका अंदाज़ा लगाया जा सकता है। धस्माना कहते हैं कि देहरादून को जल्द से जल्द एक अनुभवी और काबिल एडीएम मिलना चाहिए जिससे डीएम की अनुपलब्धता में आम फरियादी को भटकना न पड़े।

कुर्सी से जुड़ी जवाबदेही भी सीधे तय होती है।
हमने इस मुद्दे पर कई वरिष्ठ ब्यूरोक्रेट से उनकी राय जानी तो उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अफसर की पर्याप्त संख्या में तैनाती होने से न सिर्फ योजनाओं को धरातल पर उतारने में मदद मिलती है बल्कि उस कुर्सी से जुड़ी जवाबदेही भी सीधे तय होती है। लेकिन इसके उलट एक अधिकारी पर कई जिम्मेदारियां होने से कहीं ना कहीं काम पर असर भी अवश्य ही पड़ता है। ऐसे में देहरादून जैसे अहम जिले में एडीएम प्रशासन की तैनाती बेहद जरूरी है जो लंबे समय से नहीं हो सकी है। ऐसा भी नहीं है कि सरकार के पास काबिल और अनुभवी अफसर की कोई कमी है। इसके पहले भी देहरादून की कमान कई कामयाब अफसर के हाथों में सरकारों ने दिया था जिसका बेहतरीन और सफल नतीजा भी जनता ने देखा था। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या एडीएम प्रशासन जैसी बेहद हॉट सीट पर किसी काबिल अफसर की नियुक्ति क्यों नहीं हो रही है ?

डीएम के बाद सबसे अहम है एडीएम प्रशासन की भूमिका
देहरादून की मौजूदा जिलाधिकारी सोनिका अक्सर सड़कों पर सरकार की योजनाओं से जुड़ी प्रगति का निरीक्षण करती नजर आती है फिर वह चाहे बीते दिनों बारिश की आपदा से हुए नुकसान का रहा हो या बड़े आयोजनों का सफलतापूर्वक मेजबानी करनी रही हो डीएम देहरादून काफी सक्रिय और एक्टिव नजर आती हैं ऐसे में एक्सपर्ट बताते हैं कि अगर उनके सहयोगी के रूप में अनुभवी अफसर की तैनाती उनकी टीम में हो जाए तो कहीं ना कहीं प्रशासनिक क्षमता में और भी मजबूती आएगी और प्रदेश सरकार की योजनाओं को तेजी से आम जनता तक पहुंचा जा सकेगा।

वीआईपी इवेंट्स और विजिट का शहर है देहरादून
ग्लोबल इन्वेस्टर सम्मिट देहरादून में आगामी दिसंबर के दूसरे सप्ताह में आयोजित किया जाएगा। इसके साथ ही साथ तमाम वीआईपी विजिट भी देहरादून मसूरी और ऋषिकेश जैसे व्यस्त स्थानों में होती रहती है। आने वाले दिनों में बर्फबारी और टूरिस्ट सीजन भी शुरू हो जाएगा जिसकी वजह से प्रशासनिक अफसर पर काम का दबाव बढ़ाना भी लाजमी है। ऐसे में जब हमने पूर्व प्रशासनिक अधिकारियों से बात की तो उनका भी कहना है कि लंबे समय से खाली पड़े इस बेहद अहम पद पर सरकार को जल्द से जल्द किसी अनुभवी और वरिष्ठ अफसर की तैनाती करनी चाहिए जिससे राजधानी की विकास योजनाओं पर कोई ब्रेक ना लगे।
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