Eco Friendly Kumbh जनवरी 2025 में संगम के तट पर आयोजित होने जा रहे महाकुंभ के लिए तैयारी जोरों पर है। इस बार महाकुंभ को इको फ्रेंडली स्वरूप देने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। अस्थाई शिविरों के निर्माण के लिए देशभर से श्रमिक आए हैं। इन श्रमिकों का योगदान महाकुंभ के आयोजन को न केवल व्यवस्थित बना रहा है, बल्कि यह लाखों लोगों के लिए रोजगार का भी एक बड़ा स्रोत बन चुका है।
इको फ्रेंडली शिविर निर्माण पर जोर Eco Friendly Kumbh
उत्तर प्रदेश सरकार महाकुंभ मेला क्षेत्र को स्वच्छ, व्यवस्थित और पॉलिथीन मुक्त बनाने के लिए प्रयासरत है। इस बार मेला क्षेत्र में बांस और लकड़ी से बने शिविरों और प्रवेश द्वारों का निर्माण प्राथमिकता के रूप में किया जा रहा है। अपर कुंभ मेला अधिकारी विवेक चतुर्वेदी के अनुसार इस बार महाकुंभ में 8,000 से अधिक संस्थाएं बसाई जाएगी, जो पिछले महाकुंभ से डेढ़ गुना अधिक हैं। इनमें से 4,500 संस्थाएं सनातन धर्म के प्रचार के लिए अपनी अस्थाई शिविर लगाती हैं और इन सभी संस्थाओं ने इस बार बांस से बने शिविरों को प्राथमिकता दी है।
धार्मिक परंपरा और कुटिया संस्कृति का पालन
महाकुंभ के दौरान त्रिवेणी की रेती पर रहने की परंपरा रही है और इस परंपरा को ध्यान में रखते हुए इस बार कुटिया संस्कृति का अनुसरण करते हुए बांस से बने शिविरों को महत्व दिया जा रहा है। देवरहा बाबा न्यास मंच के महंत राम दास का कहना है कि महाकुंभ हो या माघ मेला यहां कुटिया संस्कृति का भाव बांस से बने शिविरों में ही नजर आता है। श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी में भी बांस से बनी 32 कुटिया का निर्माण हो रहा है।
दूसरे राज्यों से आए कारीगरों का योगदान
महाकुंभ के लिए अस्थाई शिविरों और प्रवेश द्वारों के निर्माण में बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश से 25,000 से अधिक श्रमिकों और कारीगरों ने अपनी सेवाएं दी हैं। बिहार के पूर्णिया से आए कारीगर शंभू बताते हैं कि बिहार के चार जिलों से सात हजार से अधिक लोग महाकुंभ के निर्माण कार्य में जुटे हैं। कुटिया, यज्ञशाला और साधना कक्ष जैसे संरचनाओं का निर्माण बांस और अन्य पारंपरिक सामग्री से किया जा रहा है। रजत निषाद जो अखाड़ा क्षेत्र में कॉटेज बना रहे हैं कहते हैं कि 15 दिनों में उन्हें 32 कुटिया बनाने का कार्य मिला है।
रोजगार का बना बड़ा स्रोत
इस महाकुंभ आयोजन से ना सिर्फ बाहर के प्रदेशों से आए श्रमिकों को रोजगार मिल रहा है, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए भी यह एक अवसर है। महाकुंभ मेला क्षेत्र में 4,000 हेक्टेयर में फैला हुआ है जिसमें 25 सेक्टर बनाए जा रहे हैं और प्रत्येक सेक्टर में 400 से अधिक संस्थाएं बसाई जा रही हैं। इससे हजारों श्रमिकों को रोजगार प्राप्त हो रहा है। स्थानीय कारीगरों, टेंट बनाने वालों और अन्य सेवाओं में लगे लोगों को भी काम मिल रहा है, जिससे महाकुंभ आयोजन एक बड़ा रोजगार सृजन का माध्यम बन चुका है।