Fake FIR Complaint :  जानिए झूठी FIR दर्ज होने पर कैसे बचे ? 

Special Report By : Anita Tiwari , Dehradun

Fake FIR Complaint आप और हम अक्सर सड़क पर चलते समय रोड एक्सीडेंट की घटना तो देखते ही रहते हैं। कहीं मामला तुरंत खत्म हो जाता है तो कहीं विवाद कोर्ट और पुलिस तक पहुँच जाता है और ज्यादातर मामलें में  एफआईआर भी दर्ज़ हो जाती है। हो सकता है वो फ़र्ज़ी शिकायत हो या आप बेकुसूर हों और सामने वाले शख्स ने आपके ऊपर एफआईआर दर्ज़ करा दी है। अब ऐसे में आप झूठी एफआईआर से कैसे निपट कर बच सकते हैं ये सबसे बड़ा सरदर्द बन जाता है। लिहाज़ा शाइनिंग उत्तराखंड न्यूज़ आपको काम की बात बता रहा है ध्यान से पढियेगा।  

Fake FIR Complaint  झूठी FIR कराने वाले पर  कर सकते हैं मानहानि का केस

Fake FIR Complaint आप भी कोर्ट, कचहरी, पुलिस, थाना। इन सब से बचने के लिए बॉडी कैमरा या हेलमेट पर एक कैमरा लगाकर चल सकते हैं। जिससे आप रोड पर होने वाली घटनाओं की वजह से खुद को बेगुनाह साबित कर सकते हैं। अब मान लीजिए एक्सीडेंट नहीं किया है और आपके खिलाफ झूठी FIR दर्ज करा दी जाए तो…आपके पास सिर्फ एक उपाय है। हाईकोर्ट से कथित FIR को रद्द कराना होगा। आप हाईकोर्ट में CrPC की धारा 482 के तहत केस से छुटकारा पाने के लिए FIR रद्द कराने की याचिका दायर कर सकते हैं।

 जब हाईकोर्ट में आपके पक्ष में जजमेंट आता है यानी आप बेगुनाह साबित हो जाते हैं, तब आप चाहें तो उस व्यक्ति के खिलाफ (जिसने आपके ऊपर झूठी FIR दर्ज की थी) मानहानि का केस कर सकते हैं। इसमें आप मुआवजा (CrPC 250) ले सकते हैं, या उसको सजा भी दिलवा सकते हैं। IPC की धारा 211 के तहत आप उस व्यक्ति खिलाफ केस दर्ज कर सकते हैं। जिसके बाद उसे 2 साल की सजा और जुर्माना, या फिर दोनों हो सकता है।

 

कोई वाहन रोड पर कट मारता हुआ निकल रहा है या फिर दूसरे की गाड़ी को ओवरटेक कर रहा है। ओवरटेक करने में दूसरे व्यक्ति की गाड़ी गिर जाती है। गिरने पर उसको साधारण चोट आती है। व्यक्ति को कोई खरोंच या फिर कहीं छोटा-मोटा घाव हो जाए इसे साधारण चोट माना जाता है। ऐसी सिचुएशन में धारा 337 के तहत पुलिस एक्शन लेती है। जिसमें 6 महीने तक की जेल भी हो सकती है। IPC की धारा 338- यह ऐसे मामले में लागू होती है जहां लापरवाही से गाड़ी चला कर किसी व्यक्ति की जिंदगी को खतरे में डाला जा रहा हो या फिर उसे गंभीर चोट पहुंचाई गई हो। जैसे-

किसी के हाथ-पैर टूट जाते हैं , किसी की उंगली टूट जाती है , कोई बड़ा गहरा घाव हो जाता है।  ऐसी सिचुएशन में धारा 338 के तहत पुलिस एक्शन लेती है और आरोपी को 2 साल तक की जेल और जुर्माना लग सकता है। याद रखें- जब किसी व्यक्ति की एक्सीडेंट में मौत नहीं होती है,लेकिन गंभीर चोट पहुंचती है। उस मामले में यह धारा लागू होती है।

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