Ghostlighting आज की डिजिटल दुनिया में रिश्ते जितनी तेजी से बनते हैं, उतनी ही तेजी से टूट भी जाते हैं. प्यार, भरोसे और समझदारी की जगह अब चैट, रील्स और नोटिफिकेशन ने ले ली है. इसी तेजी से बदलती रिलेशनशिप की परिभाषा में एक नया और बेहद तकलीफदेह ट्रेंड उभरा है ‘घोस्टलाइटिंग’ (Ghostlighting). अगर आपने कभी गैसलाइटिंग के बारे में सुना है, तो यह समझना मुश्किल नहीं होगा कि घोस्टलाइटिंग उससे एक कदम आगे बढ़कर किसी की मानसिक शांति छीन लेता है.
क्या है ‘घोस्टलाइटिंग’? Ghostlighting
यह एक ऐसा व्यवहार है, जिसमें कोई शख्स पहले तो बिना किसी सूचना या संकेत के आपके जीवन से गायब हो जाता है (जिसे ‘घोस्टिंग’ कहा जाता है), और फिर जब वापस आता है, तो ऐसे पेश आता है जैसे कुछ हुआ ही नहीं. और यहां तक कि आपकी भावनाओं को गलत ठहराकर आपको ही दोषी बना देता है. इस प्रक्रिया में वो न सिर्फ आपके साथ रिश्ते को तोड़ता है, बल्कि आपको खुद पर ही शक करने पर मजबूर कर देता है. यह मानसिक तौर पर किसी को गिराने का एक बेहद खामोश और क्रूर तरीका है.
क्यों है ये ट्रेंड इतना खतरनाक?
घोस्टलाइटिंग सिर्फ ब्रेकअप का तरीका नहीं है, बल्कि यह मानसिक शोषण की एक परतदार परछाई है. इसमें व्यक्ति पहले आपके जीवन से गायब होकर आपको भ्रम में डालता है. फिर लौटकर आपको यह यकीन दिलाने की कोशिश करता है कि गलती आप ही की थी. आप खुद को कमतर महसूस करने लगते हैं और सोचने लगते हैं कि शायद आपने ही कुछ गलत किया है. ऐसे में इंसान का आत्मविश्वास चकनाचूर हो जाता है, और वह धीरे-धीरे खुद से दूरी बनाने लगता है.
कैसे पहचानें घोस्टलाइटिंग के संकेत?
1. अचानक से दूरी बना लेना
आप रोज बात कर रहे थे, प्लान बना रहे थे… और अचानक सामने वाला बिना कुछ कहे गायब हो जाए. कॉल, मैसेज या ऑनलाइन मौजूदगी—हर जगह सन्नाटा.
2. झूठी उम्मीदें और दोहरापन
सोशल मीडिया पर आपकी पोस्ट पर लाइक करेगा, शायद कुछ मीठी बातें भी कर देगा, लेकिन व्यक्तिगत बातचीत में कोई पहल नहीं करेगा.
3. भावनात्मक भ्रम फैलाना
जब आप सवाल करते हैं कि वह आपको नजरअंदाज क्यों कर रहा है, तो वो कहता है, “तुम ज़्यादा सोचती हो” या “ऐसा कुछ नहीं है”, जिससे आप खुद अपनी भावनाओं पर ही भरोसा करना बंद कर देते हैं.
4. आना-जाना, बिना सफाई के
कभी अचानक लौट आना, जैसे कुछ हुआ ही नहीं, और फिर दोबारा गायब हो जाना—ये व्यवहार मन को तोड़कर रख देता है. आप यह तय नहीं कर पाते कि आप एक रिश्ते में हैं या बस इंतज़ार में.
कैसे करें इस दर्दनाक व्यवहार से खुद का बचाव ?
अपने भावनाओं को नजरअंदाज मत कीजिए. जो महसूस हो रहा है, वो झूठ नहीं है. किसी के टुकड़ों में मिलने वाले प्यार को ‘रिश्ता’ समझने की भूल न करें. मानसिक शांति को प्राथमिकता दें. रिश्ते में अगर आप हर वक्त उलझन और तनाव में हैं, तो ये रिश्ता नहीं, जाल है. ज़रूरत पड़े तो किसी करीबी या मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से बात करें.ये खबर मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है अपने खुद के विवेक से आप फैसला लीजिये की आज के समय में क्या सही है और क्या गलत