Holi 2024 : पाकिस्तान में हुआ था बुआ होलिका का दहन 

Holi 2024 भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में मौजूद भारतीय 25 मार्च को होली का जश्न मनाएंगे. होली पर रंगों की बौछार होगी तो लोग एक दूसरे को गुलाल और अबीर लगाते हैं. बता दें कि सनातन धर्म में हर त्योहार के पीछे एक पौराणिक था है. इसी तरह होली को लेकर भी एक कथा सुनी-सुनाई जाती है. इसे धर्म की अधर्म पर जीत के तौर पर मनाया जाता है. इस कहानी के तीन प्रमुख पात्र विष्णु भक्त प्रह्लाद, उनके पिता हिरण्यकश्यप और बुआ होलिका है.

 

इस जगह से हुआ था होली का आरंभ Holi 2024

Holi 2024

कथा के अनुसार, प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप भगवान विष्‍णु को अपना शत्रु मानते थे. उनकी बहन होलिका को आग में ना जलने का वरदान था. उन्‍होंने अपनी बहन को विष्णु भक्त प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठने का आदेश दिया. जब होलिका प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठीं तो वह खुद जल गईं और भक्‍त प्रहलाद बच गए. बाद में जब प्रह्लाद को लेाहे के गर्म खंभे से बंधवाया तो भगवान विष्‍णु ने नरसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध कर दिया. लेकिन, क्‍या आप जानते हैं कि ये सब पाकिस्तान में हुआ था. क्‍या आप जानते हैं कि वो जगह पाकिस्तान में कहां है?

Holi 2024

भक्‍त प्रहलाद ने पिता के वध के बाद जिस जगह पर होलिका दहन हुआ था उसी जगह पर नरसिंह अवतार के सम्मान में मंदिर बनाया था. उन्‍होंने हजारों साल पहले जिस जगह मंदिर बनवाया था, वो जगह आज पाकिस्तान में पंजाब प्रांत के मुल्तान शहर में है. इस मंदिर का नाम प्रह्लादपुरी मंदिर है. एक समय तक ये मंदिर ऐतिहासिक स्मारक होता था. मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहीं पर प्रह्लाद की बुआ होलिका आग में भस्म हो गई थीं. आज मंदिर की जगह कूड़ा डालने के डंपिंग यार्ड में तब्दील हो गई है.


मान्‍यता है कि जहां आज प्रह्लादपुरी मंदिर है, वहीं पर हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को खंभे से भी बांधा था. यही पर भगवान नरसिंह ने खंभे से प्रकट होकर हिरण्यकश्यप का भी वध किया था.  एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक हिंदू कार्यकर्ता  ने बताया कि प्रह्लादपुरी मंदिर हजारों साल पुराना है. इस मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए 1861 में लोगों ने चंदा भी इकट्ठा किया था. बंटवारे के समय प्रह्लादपुरी मंदिर पाकिस्तान के हिस्से में चला गया. इसके बाद भी होली पर यहां भक्तों की भारी भीड़ जुटती थी. यहां पर 2 दिन तक होलिका दहन किया जाता था. इसके बाद 9 दिन तक होली मेला और रंगोत्सव मनाया जाता था. कुछ साल पहले पाकिस्तान की एक अदालत ने मंदिर की मरम्मत का आदेश दिया था. हालांकि, अब तक इसे ठीक नहीं किया गया है.

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