Husband Wife Relationship : पत्नी की क्रूरता पर कोर्ट बना मरहम !

Husband Wife Relationship ये कहानी अगर घर घर की नहीं है तो भी देश के अनेको घरों में ये मसला एक बड़े अलगाव की वजह ज़रूर मन सकते हैं। because क्योंकि जो खबर हम आपको बता रहे हैं वो आपको कहीं न कहीं अपने आस पास की घटनाओं से जुडी ज़रूर लगेगी। दरअसल actually एक शख्स (पति) को तलाक का आदेश देने के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है- ‘पति पर घर जमाई के रूप में रहने के लिए दबाव डालना किसी क्रूरता के समान है।’

पत्नी ने कहा- आओ दिल्ली बनो घर जमाई Husband Wife Relationship

Husband Wife Relationship

बताया जा रहा है कि तलाक को फैमिली कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसके बाद शख्स ने दिल्ली हाई कोर्ट में गुहार लगाई थी। अब इस मामले में कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए पति के पक्ष में फैसला देते हुए उसे तलाक दे दिया है। हाई कोर्ट की जस्टिस सुरेश कुमार कैत और नीना बंसल कृष्णा की बेंच ने अपने फैसला में फैमिली कोर्ट के आदेश को निरस्त करते हुए पति से इस तरह की मांग को पत्‍नी की क्रूरता बताया है।

पत्नी ने कहा- आओ दिल्ली बनो घर जमाई

दिल्ली हाई कोर्ट में तलाक की याचिका दायर करने वाले गुजरात के रहने वाले हैं। उनका कहना है कि शादी मई, 2011 में हुई, जिसके बाद एक साल के अंदर पत्नी गुजरात से पति और ससुराल वालों को छोड़कर दिल्ली अपने माता-पिता के पास आ गई। हालाँकि although काफी समझाने पर भी पत्नी दिल्ली छोड़कर गुजरात आने के लिए तैयार नहीं हुई। But पति जब पत्नी को समझाने परिवार समेत दिल्ली आया तो उसने दो टूक कह दिया कि वह अपना सबकुछ छोड़कर दिल्ली आ जाए और घर जमाई बनकर रहे। उधर, पति ने यह कहकर इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया कि उसे अपने बूढ़े माता-पिता की देखभाल करनी है और वह एक मात्र सहारा है। लेकिन but बावजूद इसके पत्नी जिद पर अड़ी रही।

महिला ने पति पर लगाए गंभीर आरोप

उधर, महिला ने कई तरह के गंभीर आरोप लगाते हुए दहेज उत्पीड़न तक की शिकायत की। यहां तक कहा कि उसका पति शराबी है और वह उसके साथ शारीरिक दुर्व्यवहार और क्रूरता तक करता था। इन आरोपों को लगाते हुए मार्च, 2002 में उसने पति का घर छोड़ दिया। इस पर फैमिली कोर्ट में पति की ओर से याचिका दायर की गई, लेकिन but यह खारिज हो गई। इसके बाद पति ने दिल्ली हाई कोर्ट को रुख किया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि- ‘किसी के बेटे को अपने परिवार से अलग होने के लिए कहना क्रूरता के समान है।’

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