देहरादून से अनीता तिवारी की रिपोर्ट –
Jeolikot Hill Station देवभूमि उत्तराखंड को आत्मिक और मानसिक शांति का द्वार कहा जाता है। हर साल यहां लाखों की तादाद में विश्व भर से सैलानियों का आगमन होता है। अपने विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति के लिए यहां पर्यटक आना पसंद करते हैं। प्राकृतिक दृष्टि से उत्तराखंड देश का सबसे खास स्थल माना जाता है। तो आज हम आपको एक ऐसे ही खूबसूरत हिल स्टेशन ज्योलिकोट के बारे में बता रहे हैं।
Jeolikot Hill Station अधिकांश सैलानी ज्योलिकोट से अनजान है

- Jeolikot Hill Station ये 19वी शताब्दी की बात है जब लेफ्टिनेंट कर्नल वॉर्विक नाम के एक अंग्रेजी अफसर ज्योलिकोट आए थे। उस समय में ज्योलिकोट एक छोटा सा गाँव था जहाँ पर नैनीताल जाते हुए अंग्रेजी अफसर और उनके घोड़े कुछ देर सुस्ताते थे। यहाँ पर रुके वॉर्विक साहब को एक स्थानीय लड़की से प्यार हो गया और कर्नल साहब यहीं के होकर रह गए। उन्होंने गाँव की उस महिला से शादी रचाई और ज्योलिकोट में एक घर भी बनाया। शादी के कुछ सालों बाद वार्विक साहब की पत्नी का देहांत हो गया और 20 कमरों के इस घर में वो अकेले रहने लगे। ना नौकरों को अंदर आने की इजाज़त थी और गाँव वाले अगर पास से भी गुज़रते तो उनको धुत्कार कर भगा दिया जाता।

- Jeolikot Hill Station इस दौरान गाँव वालों ने यहाँ हो रही अजीबोगरीब गतिविधियों पर ध्यान दिया। हर रात अँधेरा होते ही उनको एक औरत दिखा करने लगी जो की घोड़े पर सवार होकर गाँव भर में घूमती थी। लोग घर के अंदर भी रहते तो उनको घोड़े के सरपट दौड़ने की आवाज़ आती। थोड़ी छानबीन के बाद पता चला की वो वॉर्विक साहब ही थे जो अपनी मृत पत्नी के कपड़े और गहने पहन कर रोज़ घोड़े पर सवार गाँव के चक्कर काटते।
- Jeolikot Hill Station क्योंकि गाँव वालों को इस अंग्रेज़ अफसर से हमदर्दी थी इसलिए उन्होंने कर्नल वॉर्विक को कभी नहीं रोका। धीरे-धीरे लोग ये भी मानने लगे की घोड़े पर सवार औरत के वेश में वॉर्विक रात को डाकुओं से गाँव वालों की रक्षा करता है और जंगली जानवरों से उनके खेतों को बचाता है । इस घटना के सालों बाद आज भी रातों को ज्योलिकोट में घोड़े की हिनहिनाने और सरपट दौड़ने की आवाज़ें आती हैं। लोग आज भी वॉर्विक को ज्योलिकोट का रखवाला भूत बुलाते हैं।
- Jeolikot Hill Station अक्सर नैनीताल, नौकुचियाताल और भीमताल जैसे कस्बों में छुट्टियां मनाने वाले लोग ज्योलिकोट के रास्ते से ही जाते हैं। मगर इन सब सर्द जगहों की तुलना में ज्योलीकोट में तापमान ज्यादा ही रहता है। सर्दियों में भी यहाँ भीनी भीनी धुप हमेशा ही रहती है, इसलिए आप यहाँ छुट्टियाँ मनाने पूरे साल आ सकते हैं। मगर ज्योलिकोट आज भी जाना जाता है ब्रिटिश काल के अपने इतिहास के लिए। सबसे पहले यहाँ उन अंग्रेजी हुक्मरानों ने घर बसाये जिनको नैनीताल की ठंड से राहत चाहिए थी। इस कारण ये ठहरने का एक पसंदीदा पड़ाव बन गया।
Jeolikot Hill Station ज्योलीकोट में और क्या देखें?
Jeolikot Hill Station ज्योलिकोट में छुट्टियाँ बिताते समय आप आस-पास के पहाड़ी इलाकों में भी घूमने जा सकते हैं। यहाँ न सिर्फ अतुल्य नैसर्गिक सुंदरता है बल्कि जीव जन्तुओ की भी कमी नहीं है। ये एक छोटी सी लिस्ट है जो आपके काम आ सकती है।अगर आपको पहाड़ों की शांत वादियाँ पसंद हैं और आस-पास के भीड़-भाड़ वाले इलाके जैसे नैनीताल और अल्मोड़ा से आप ऊब चुके हैं तो गजारि ग्राम स्थित ज्योलिकोट में कुछ दिन बिताएँ। होटल में रह कर आप हर शाम इस गाँव में घूम यहाँ के लोग और उनके जीवन से भी रूबरू हो सकते हैं। वॉर्विक हाउस, सनसेट पॉइंट और देवी मंदिर, सभी इस हॉस्टल से बहुत कम दूरी पर हैं।
रोज नहाना खतरनाक ! सबसे ज्यादा नहाते है इंडियन https://shininguttarakhandnews.com/daily-bath-dangerous-health/