Kanwar Yatra Haridwar : कांवड़ियों के लिए मुस्लिम बनाते हैं कांवड़ – क़ाज़ी

देहरादून से अनीता तिवारी की रिपोर्ट – 

Kanwar Yatra Haridwar  उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कावड़ यात्रा के दौरान मुजफ्फरनगर से शुरू किया गया अपना आदेश पूरे प्रदेश में लागू कर दिया है। जिसमें दुकानदारों को उनकी दुकान के बाहर अपना नाम और वर्कर्स के पूरे परिचय को देना अनिवार्य किया गया है। इस फैसले के बाद इसका असर अब उत्तराखंड की राजधानी देहरादून और हरिद्वार में भी पड़ा है जिसके बाद यहां पर भी इसी नियम को आगे बढ़ते हुए धामी सरकार ने दुकानों के बाहर नाम लिखने का आदेश दे दिया है । इसके बाद अब उत्तर प्रदेश के बाद देहरादून और देवभूमि में भी आदेश पर चर्चाएं तेज़ होने लगी है। 

 

क़ाज़ी निज़ामुद्दीन ने कांवड़ रुट के आदेश पर कही बड़ी बात Kanwar Yatra Haridwar

 इस मामले में शाइनिंग उत्तराखंड न्यूज़ ने जब मैंगलोर के नवनिर्वाचित विधायक और मुस्लिम बाहुल्य इलाके का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और विधायक क़ाज़ी निजामुद्दीन से उनकी राय जानी चाहिए तो उन्होंने कहा कि सरकार जब कोई फैसला लेती है तो उम्मीद की जाती है इसमें कानून और एक्सपर्ट्स की राय ली गई होगी तभी ऐसे आदेश और फैसला सरकार जारी करती है। 
 
अम्बेडकर , बुद्ध और गांधी के देश में सौहार्द सर्वोपरि  – क़ाज़ी 
लेकिन कभी कभी ऐसे विवादित फैसले से कहीं ना कहीं गांधी , बुद्ध और अंबेडकर के आदर्शों पर चलने वाले समाज और सामाजिक सौहार्द की मिसाल भारत जैसे देश की पहचान को ठेस पहुंचता है क्योंकि कावड़ यात्रा के छोटे से अवधि के दौरान होने वाली आमदनी से सड़कों पर रोज़गार करने वाले हज़ारों गरीब परिवारों का भरण पोषण होता है और परिवार पलता है। मंगलोर विधायक काजी निजामुद्दीन ने बताया कि उत्तराखंड ही नहीं देश के अनेक राज्यों में कावड़ यात्रा के दौरान मुस्लिम संगठन हो या परिवार वह कांवड़ियों का स्वागत करते हैं और उनके लिए सेवा भाव से जुटे रहते हैं।


कांवड़ मार्ग पर नेम प्लेट बुद्ध और गांधी के विचारों के खिलाफ
वहीं अगर बात करें कांवड़ियों के कंधों पर आस्था और भक्तिभाव के प्रतीक कांवड़ की तो अलग-अलग ढंग से सजाए गए आकर्षक कावड़ के बारे में तो यह सब जानते हैं की कावड़ को बनाने में मुस्लिम परिवार का अहम किरदार होता है , साल भर देश भर में मुस्लिम परिवार अपनी मेहनत और हुनर से हिन्दू भाइयों के लिए कावड़ तैयार करते हैं जिसे अपने कंधे पर रखकर आस्था का जल चढ़ाने कांवड़िये शिवालयों तक जाते हैं।  ऐसे में सांप्रदायिक सौहार्द और आपसी भाईचारे की मिसाल भी कावड़ यात्रा बनती है। लिहाजा आज भाजपा की सरकारों को सोचना चाहिए कि उनके फैसलों से इन भावनात्मक रिश्तों और भाईचारे को कोई नुकसान न पहुंचे। 
 
आदेश सर्वमान्य और न्याय संगत होना चाहिए
मुस्लिम बाहुल्य विधानसभा और हरिद्वार रुड़की में प्रभाव रखने वाले सीनियर कांग्रेस लीडर काजी निजामुद्दीन कहते हैं कि शांति और सौहार्द के इस देश में सरकारों को ऐसे फैसले लेने से बचना चाहिए जो दो दिलों के बीच दूरियां पैदा करने वाले हो। क्योंकि बात सिर्फ कावड़ यात्रा के दौरान नाम और मजहब लिखने की नहीं है बल्कि यह दो सम्प्रदाय के भाइयों के बीच दूरी बढ़ाने का भी काम करती है , जिस पर हो रही सियासत से पूरे देश में हिन्दू मुस्लिम भाईचारे पर गलत असर पड़ रहा है। उन्होंने दोनों वर्गों से अपील की है कि धार्मिक यात्राएं हमारे भारत की पहचान है इसके सफल आयोजन में दोनों ही मज़हब के लोगों को हाँथ से हाँथ जोड़कर आपसी सौहार्द से निभाना चाहिए।    
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