Mangalsutra Rituals हिंदू धर्म में, काले रंग को आमतौर पर बुरी किस्मत और दुख का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक समारोहों, पूजा और शुभ मौकों पर काले रंग का इस्तेमाल वर्जित माना जाता है। इसके बावजूद, शादीशुदा जोड़ों द्वारा पहना जाने वाला सबसे खास गहना मंगलसूत्र काले मोतियों से बना होता है। अगर काले रंग को शुभ मौकों का रंग नहीं माना जाता है, तो मंगलसूत्र में इसे इतनी खास जगह क्यों दी गई है? आइए जानें कि मंगल ग्रह का प्रतीक माने जाने वाले मंगलसूत्र में काले मोतियों का इस्तेमाल क्यों किया जाता है और शास्त्रों और पुराणों में इसके बारे में क्या कहा गया है।

मंगलसूत्र का महत्व Mangalsutra Ritualsऐसा माना जाता है कि शादी के बाद, महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और शादीशुदा ज़िंदगी की खुशी के लिए सोलह श्रृंगार करती हैं, जिनमें मंगलसूत्र का अहम स्थान है। यह सिर्फ़ शादीशुदा ज़िंदगी की निशानी ही नहीं है, बल्कि एक ताकतवर ताबीज़ भी है जो बुरी नज़र और नेगेटिव एनर्जी से बचाता है। कई इलाकों में, मंगलसूत्र का खोना या टूटना अशुभ माना जाता है, क्योंकि इसे शादीशुदा औरत के हमेशा अच्छे सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।

ज़्यादातर मंगलसूत्रों में काले मोती ज़रूर होने चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, ये काले मोती नेगेटिव एनर्जी और बुरी नज़र से सुरक्षा देते हैं। शादी एक पवित्र बंधन है, माना जाता है कि यह सात जन्मों तक चलता है। इस पवित्र रिश्ते को बुरी नज़र से बचाने के लिए, मंगलसूत्र के मोतियों को काला रंग दिया जाता है। काले रंग में नेगेटिविटी सोखने और बाहरी नेगेटिव एनर्जी को रोकने की ताकत होती है। इसलिए, मंगलसूत्र में इसका होना एक सुरक्षित और स्थिर शादीशुदा ज़िंदगी के लिए बहुत ज़रूरी माना जाता है।

हर मंगलसूत्र में सोना इस्तेमाल होता है। ज्योतिष में, सोने को बृहस्पति ग्रह से जोड़ा जाता है, जो ज्ञान, खुशहाली, अच्छी किस्मत और नेकी का प्रतीक है। सोने को वैवाहिक सुख का प्रतीक माना जाता है और यह बृहस्पति के शुभ प्रभाव को बढ़ाता है।

