Manikarnika Ghat History : इन वेश्याओं के रहस्य देख दंग रह जायेंगे ! 1 Great Truth

Manikarnika Ghat History क्या आप जानते है.. जिस बनारस को हिंदु धर्म का सबसे पवित्र स्थान माना जाता है.. उसी बनारस में वेश्याओं लोगों की मौत पर नाचती है.. यानि की एक ओर जहां लोग अपनों के मरने का दुख मनाते है… वही दूसरी ओर वेश्याओं के घुंघरु रुकने का नाम नहीं लेते.. आखिर क्या है इसके पीछे का रहस्य..पाठकों इसके पीछे का राज जानकर आप चौंक जायेंगे…

Manikarnika Ghat History क्या है इसके पीछे का रहस्य

Manikarnika Ghat History
Manikarnika Ghat History

Manikarnika Ghat History दरअसल, काशी के मणिकर्णिका घाट पर हर साल चैत्र नवरात्र की सप्तमी को महाशमशान महोत्सव मनाया जाता है.. मान्यता है कि इस दिन काशी के राजा भगवान शिव अदृश्य रुप से इस पूरे महोत्सव में शामिल होते है… और तब इस घाट में वैश्याएं बेहिचक नृत्य करती है.. यानी की एक तरफ चिता की लपटे उठ रही होती है.. तो वहीं दूसरी ओर वेश्याओं के घुंघरुओं की झंकार बज रही होती है… मणिकर्णिका घाट पर लोगो के रोने और तबले की थाप का यहां अनोखा संगम सभी को हैरान कर देता है।
Manikarnika Ghat History कहा जाता है कि इस नाच- गाने के जरिये… वैश्याएं महादेव के लिए अपनी भक्ति भावना प्रकट करती है… उनका मानना है कि सभी को तारने वाले भगवान शिव क्या उनकी इस सेवा को स्वीकार नहीं करेगें.. क्या उन्हें इस नर्क से बाहर निकालकर मोक्ष का अधिकारी नहीं बनायेंगे। अब सोचने वाली बात है कि इस घाट पर ये परंपरा किसने और क्यों शुरु की…. आखिर कौन था वो जिसने पहली बार इन्हें मणिकर्णिका घाट पर नाचने के लिए बुलाया था..
Manikarnika Ghat History ये बात है पंद्रवी शताब्दी की.. उस समय राजा मान सिंह आमेर के राजा हुआ करते थे.. और अकबर के नौ रत्नों में से एक माने जाते थे… उस समय उन्होंने शिव जी के मंदिर का जीर्णोद्धार कराया.. यानि की उसकी मरमम्त वैगेरा कराकर उसे फिर से एक खूबसूरत मंदिर करा दिया था.. रीति रिवाज के अनुसार मंदिर के जीर्णोद्धार के बाद राजा मान सिंह ने मंगल उत्सव भी कराना चाहते थे.. इसके लिए उन्होंने नगर के बेहतरीन संगीत और नृत्य कलाकारों को वहां आमंत्रित किया… लेकिन किसी भी कलाकार की उस घाट पर आने की हिम्मत नहीं हुई।

Manikarnika Ghat History मान सिंह का मन दुखी हो गया.. और वो बिना उत्सव मनाये.. वापस दिल्ली जाने की तैयारी करने लगे.. ये बात जब नगर के वैश्याओं को पता चली.. तो उन लोगों ने आपस में बात कर के राजा साहब को एक पत्र भेजा.. जिसमें लिखा था… अगर आप को सही लगे.. तो हम वैश्याएं वहां आकर नृत्य कर सकती है.. ये हमारे लिए सौभाग्य की बात होगी।

Manikarnika Ghat History राजा मान सिंह पत्र पढ़कर बहुत खुश हुए.. और उन्होंने पूरे मान- सम्मान के रथ भेज कर वेश्याओं को घाट पर बुलाया… वहां आकर वेश्याओं ने दिल खोलकर डांस किया.. और तभी से ये परंपरा शुरु हो गयी.. इतना ही नही.. तब से ये मान्यता है कि जो भी वैश्या यहां आकर नृत्य करेगी… उसका अगला जीवन वैश्या का नही होगा.. क्यों कि कोई भी स्त्री वैश्या अपनी मर्जी से नहीं बनती.. लेकिन हर वैश्या इस नर्क से निकलना जरुर चाहती है… ऐसी जिंदगी किसी अभिशाप से कम नहीं है।

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