Mobile Network मोबाईल के चक्कर में लड़कियां नहीं बनती दुल्हन ?

Mobile Network मोबाइल फोन के कारण पति-पत्नी के रिश्ते में कलह और बहस होने की कई कहानियां आपने सुनी होंगी, लेकिन हमारे ही देश में एक ऐसा गांव है जहां मोबाइल फोन के कारण युवाओं की शादी ही नहीं हो रही है. यह उत्तर प्रदेश के सिवनी जिले के कुरई ब्लॉक के नायगांव का एक हिस्सा है. नायगांव एक वन गांव है जो पेंच टाइगर रिजर्व के बफर जोन के अंतर्गत आता है. यहां अविवाहित बच्चों की संख्या बढ़ रही है. कोई भी अपनी बेटी की शादी इस गांव के किसी युवक से करने को तैयार नहीं है. इसका कारण मोबाइल नेटवर्क की कमी है.लोगों के पास मोबाइल फोन तो हैं, लेकिन बात करने के लिए उन्हें गांव से तीन किलोमीटर दूर जाना पड़ता है, तब जाकर वे फोन पर बात कर पाते हैं

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युवा जोड़े की शादी स्थगित

इस गांव की निवासी महिला अपने बेटे की शादी को लेकर चिंतित हैं. बहुत दर्द होता है. कोई भी हमें बेटी नहीं देता. लड़की का परिवार यहां नेटवर्क(Mobile Network) की कमी से चिंतित है. फोन करने की कोई जरूरत नहीं है. मेरे दो बेटों की शादी हो गई, लेकिन सबसे छोटा बेटा अब 29 साल का हो गया है, फिर भी उसकी शादी तय नहीं हुई है. उसके विवाह में कई समस्याएं हैं. महिला ने समस्या साझा की कि नेटवर्क संबंधी समस्याओं के कारण कोई भी उनकी बेटी को हमारे साथ समय बिताने नहीं देता.

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इस गांव में नहीं हो रही युवाओं की शादी

इसी गांव के बुजुर्ग पुरुष की भी यही शिकायत है. वहां इंटरनेट कनेक्शन नहीं है, इसलिए कोई लड़की देना नहीं चाहता. यह समस्या हर किसी को परेशान कर रही है. हम शादी के लिए लड़की ढूंढ रहे हैं, लेकिन इस गांव में कोई भी हमें लड़की देने को तैयार नहीं है. हम अपनी बेटी से कैसे बात करेंगे? यह हर माता-पिता का सवाल है. आश्चर्य की बात यह है कि प्रसव के दौरान एम्बुलेंस बुलाने के लिए भी लंबी यात्रा करनी पड़ती है. तांगादतोद ने कहा, ‘फोन को रिचार्ज करना तो संभव है, लेकिन इसका इस्तेमाल करने के लिए आपको कुछ किलोमीटर दूर जाना पड़ेगा.’

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गांव में नेटवर्क न होने से युवा सबसे ज्यादा नाराज और परेशान हैं. कुंवारे युवकों  के अनुसार गांव में नेटवर्क(Mobile Network) नहीं है और इन दिनों मोबाइल फोन के बिना जीवन नहीं चल सकता. हर जगह नेटवर्क होना चाहिए. हम अपने मोबाइल फोन को रिचार्ज तो करते हैं, लेकिन उन्हें इस्तेमाल करने के लिए हमें कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है. यहां तक कि बच्चे भी ऑनलाइन नहीं सीख सकते. यदि किसी को आपातकालीन स्थिति में हमसे बात करनी हो, चाहे किसी की मृत्यु भी हो जाए, तो भी यहां फोन नहीं आएगा. जब लोग शिकायत करते हैं तो वे (अधिकारी) कहते हैं कि यह वन विभाग का गांव है, इसलिए नेट-वार्ताकार नहीं आ पाएंगे. निर्माण कार्य संभव नहीं होगा. इसका निर्माण नहीं किया जाएगा.

बीएसएनएल लगाएगा टावर

लगभग 650 की आबादी वाले इस गांव में मोबाइल नेटवर्क(Mobile Network) की कमी से आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और स्कूल शिक्षकों के काम में बाधा आती है. पेंच टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक ने बताया कि बीएसएनएल केंद्र सरकार की योजना के तहत बिना कवरेज वाले गांवों में टावर लगा रहा है. कुछ दिन पहले चार गांवों में टावर लगाए गए थे. उन्होंने बताया कि इस गांव का नाम दूसरे चरण में आ सकता है.

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