Nigam Election उत्तराखंड में नगर निगम का चुनाव घोषित होने के बाद से ही भाजपा और कांग्रेस के दफ्तर में प्रत्याशियों की भारी भीड़ नजर आने लगी है… एक तरफ जहां सत्ताधारी भाजपा के मुख्यालय में दिनभर बड़े बड़े चेहरे और दिग्गज़ सामने आ रहे हैँ और दावेदारों के अलग-अलग जाने पहचाने चेहरे ताल ठोंक रहे हैं तो वही अपनी अपनी सेटिंग को लेकर मंत्रियों, विधायकों और पार्टी के संगठन से जुड़े संगठन नेताओं से जुड़े रिश्तों को वह खँगाल रहे हैं वही बात अगर कांग्रेस की करें तो गजब हाल है यहां पर… पहले से कहीं स्थित एकदम उलट नजर आ रही है….. अपनी अपनी गली से निकल कर कई कोंग्रेसी सीधे पीसीसी अध्यक्ष के सामने खुद को मेयर का दावेदार बता रहे हैँ…. कुछ ऐसे है जो खुद को बैठक, मीटिंग सोशल मीडिया मे ट्रेंडिंग और पब्लिक का फेवरेट बताकर सबसे काबिल लड़ाका साबित कर रहे है…..
फुस्स दावेदारों की भीड़ मे दमदार खामोश ! Nigam Election

दरअसल बीते उपचुनाव में केदारनाथ में मिली हार के दर्द से उबरने मे लगी कांग्रेस नगर निगम चुनाव में मरहम वाली जीत के साथ वापसी के लिए मजबूत दावेदारों को मैदान में उतारने का दावा तो कर रही है लेकिन अभी तक जिन चेहरों ने दावेदारी की है वो न तो कहीं भाजपा के सामने ठहरते नजर आते हैं और ना ही उनका अनुभव और क्षेत्र में सक्रियता जिताऊ साबित हो सकती है…. आलम ये है कि जिन दिग्गज़ नेताओं और देहरादून से लेकर पहाड़ तक सक्रिय कोंग्रेसियों से भाजपा उम्मीदवारों को कड़ी चुनौती मिल सकती है वो फिलहाल या तो खामोश हैँ या दावेदारी ही नहीं कर रहे हैँ…अब इसकी क्या वजह है ये अंदरखाने सबको समझ आ रहा है….

पीसीसी अध्यक्ष करन माहरा भले ही स्थानीय चुनाव मे भाजपा को हराने का दावा कर रहे हों लेकिन कांग्रेस मुख्यालय मे हल्के कद वाले नेता, फेसबुकिया दावेदार और चंद किराये के समर्थकों सँग दावेदारी ठोकने वालों के कंधे पर बैठकर कांग्रेस सत्ताधारी भाजपा को हरा पायेगी फिलहाल सियासी समझ और राजनैतिक माहौल को समझने वालों की नजर मे ये हकीकत कम हास्यसपद ज्यादा लगता है….

अब बात कर लेते हैँ आज के मौजूदा समय मे चुनावी हवा की, जो कब किधर कितना बहेगी ये चंद घंटे मे उम्मीदवारों का तिलिस्म टूटने के बाद साफ हो जाएगी…. लेकिन ज़ब हाल ए कांग्रेस मुख्यालय देखेंगे तो साफ नज़र आएगा की संगठन और बड़बोले प्रवक्ताओं के कमरे मे कानाफूसी का लब्बोलुआब यही है की दमदार दावेदार कोई नहीं मिल रहा है जो टक्कर दे सके….

और जो पार्टी नेता लम्बे समय से स्थानीय बिजली पानी, गंदगी , सड़क, ट्रेफिक गड्ढे जैसे सक्रिय मुद्दों पर सरकार, निगम और विभागों के खिलाफ सड़क पर आवाज़ बुलंद करते रहे हैँ वो फिलहाल अपनी तरफ से खामोश हैँ या ऊपर से इशारे का इंतजार कर रहे हैँ….लेकिन इस उहापोह और नौसिखियों की बारात मे दूल्हा कौन बनेगा ? जीत का सेहरा किसके सर बंधेगा ? क्योंकि वक़्त कम बचा है और इंतज़ार सारे बाराती ( समर्थक ) कर रहे हैँ…..