देहरादून से अनीता तिवारी की रिपोर्ट –
Patal Bhuvaneshwar अगर IF आप धार्मिक यात्रा करना चाहते हैं तो पाताल भुवनेश्वर ज़रूर आइये। इस मंदिर में दर्शन के लिए देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आते हैं. पाताल भुवनेश्वर रहस्य और सुंदरता का बेजोड़ मेल कहा जाता है. पिथौरागढ़ जनपद में स्थित यह मंदिर उत्तराखंड राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शामिल है. although यह मंदिर अपने साथ पौराणिक इतिहास और प्राकृतिक सुंदरता को संजोए हुए है. इस गुफा के अंदर देवताओं को पूरा संसार बसा हुआ है. गुफा के अंदर कहीं आपको शिव की बिखरी जटाएं दिख जाएंगी तो कहीं शेषनाग फन फैलाए हुए दिखेंगे.
गुफा में 33 करोड़ देवी-देवताओं का निवास है Patal Bhuvaneshwar
पाताल भुवनेश्वर मंदिर उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के प्रसिद्ध नगर अल्मोड़ा से शेराघाट होते हुए 160 किलोमीटर की दूरी तय कर पहाड़ी वादियों के बीच बसे सीमान्त कस्बे गंगोलीहाट में स्थित है. देवदार के घने जंगलों के बीच यह अनेक भूमिगत गुफाओं का संग्रह है. जिसमें से एक बड़ी गुफा के अंदर शंकर जी का मंदिर स्थापित है. यह संपूर्ण परिसर 2007 से भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा अपने कब्जे में लिया गया है.
यह गुफा किसी आश्चर्य से कम नहीं है. because गुफा प्रवेश द्वार से 160 मीटर लंबी और 90 फीट गहरी है. मान्यता है कि पाताल भुवनेश्वर गुफा की खोज आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी. although कहा जाता है कि पाताल भुवनेश्वर गुफा में श्रद्धालुओं के एक साथ केदारनाथ, बद्रीनाथ और अमरनाथ के दर्शन होते हैं. यह भी कहा जाता है कि इस गुफा में 33 करोड़ देवी-देवताओं का निवास है.
कलयुग में आदि जगत गुरु शंकराचार्य ने इस गुफा की खोज की और यहां ताम्बे का एक शिवलिंग स्थापित किया. कहा जाता है कि भगवान शिव ने क्रोध में जब गणेशजी का सिर धड़ से अलग कर दिया था तो उस मस्तक को पाताल भुवनेश्वर में रखा था. यहां गुफा में भगवान गणेश के कटे शिलारूपी मूर्ति के ठीक ऊपर 108 पंखुड़ियों वाला शवाष्टक दल ब्रह्मकमल के रूप की एक चट्टान है. ब्रह्मकमल से गणेश के मस्तक पर दिव्य बूंद टपकती है. ऐसी मान्यता है कि यह ब्रह्मकमल भगवान शिव ने ही यहां स्थापित किया था.
गुफाओं में चारों युगों के प्रतीक में चार पत्थर स्थापित हैं
ऐसा कहा जाता है कि जिस दिन कलियुग का प्रतीक पत्थर दीवार से टकरा जायेगा उस दिन कलियुग का अंत हो जाएगा. गुफा के अंदर ही भगवान विष्णु की शिला रूप मूर्तियां हैं. जिनमें यम-कुबेर, वरुण, लक्ष्मी, गणेश और गरूड़ अंकित हैं. तक्षक नाग की आकृति भी गुफा में बनी चट्टानों पर दिख जाती है. गुफा में भगवान शिव की बड़ी-बड़ी जटाओं वाली आकृति है. गुफा में ही काल भैरव की जीभ के दर्शन होते हैं. इस गुफा मंदिर में शेषनाग के फनों की तरह उभरी संरचना पत्थरों पर दिखाई देती हैं.
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