PM Modi News प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंडीगढ़ में तीन नए आपराधिक कानूनों- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के सफल कार्यान्वयन को राष्ट्र को समर्पित किया। पंजाब इंजीनियरिंग काॅलेज में आयोजित मुख्य कार्यक्रम में पहुंचे पीएम मोदी ने पुराने कानूनों को अंग्रेजों द्वारा भारतीयों के शोषण के लिए बनाया बताया।
यह पहल नागरिकों के लाभ के लिए मजबूत कदम PM Modi News
पीएम ने कहा कि कि मैं सभी देशवासियों को भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के लागू होने की अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं और चंडीगढ़ प्रशासन से जुड़े सभी लोगों को बधाई देता हूं। एक ऐसे समय में जब देश विकसित भारत का संकल्प लेकर आगे बढ़ रहा है, जब संविधान के 75 वर्ष हुए हैं, तब संविधान की भावना से प्रेरित ‘भारतीय न्याय संहिता’ के प्रभाव का प्रारंभ होना, बहुत बड़ी बात है। देश के नागरिकों के लिए हमारे संविधान ने जिन आदर्शों की कल्पना की थी, उन्हें पूरा करने की दिशा में ये ठोस प्रयास है।
आजादी के सात दशकों में न्याय व्यवस्था के सामने जो चुनौतियां आईं, उन पर गहन मंथन किया गया। हर कानून का व्यवहारिक पक्ष देखा गया, भविष्य के मापदंड पर उसे कसा गया, तब भारतीय न्याय संहिता इस स्वरूप में हमारे सामने आई है। मैं इसके लिए सुप्रीम कोर्ट का, माननीय न्यायाधीशों का, देश की सभी हाई कोर्ट का विशेष आभार व्यक्त करता हूं। भारत एक विकसित राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर है और अपने संविधान की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है, ऐसे में संवैधानिक मूल्यों पर आधारित भारतीय न्याय संहिता का शुभारंभ एक महत्वपूर्ण अवसर है।
भारतीयों को गुलाम बनाने के लिए लाए गए थे पुराने कानून
पीएम ने कहा कि 1857 में देश का पहला बड़ा स्वाधीनता संग्राम लड़ा गया। उस 1857 के स्वतंत्रता संग्राम ने अंग्रेजी हुकूमत की जड़ें हिला दी थीं, तब जाकर 1860 में अंग्रेज इंडियन पीनल कोड यानी आईपीसी लाए। उसके कुछ साल बाद, इंडियन पीनल एक्ट लाया गया यानी सीआरपीसी का पहला ढांचा अस्तित्व में आया। इस कानूनों की सोच व मकसद यही था कि भारतीयों को दंड दिया जाए, उन्हें गुलाम रखा जाए। दुर्भाग्य देखिए, आजादी के बाद दशकों तक हमारे कानून उसी दंड संहिता और पीनल माइंड सेट के इर्द गिर्द ही मंडराते रहे, जिसका इस्तेमाल नागरिकों को गुलाम मानकर होता रहा।
1947 में, सदियों की गुलामी के बाद जब हमारा देश आजाद हुआ, पीढ़ियों के इंतजार के बाद, लोगों के बलिदानों के बाद, जब आजादी की सुबह आई, तब कैसे-कैसे सपने थे, देश में कैसा उत्साह था। देशवासियों ने सोचा था कि अंग्रेज गए हैं, तो अंग्रेजी कानूनों से भी मुक्ति मिलेगी। अंग्रेजों के अत्याचार के, उनके शोषण का जरिया ये कानून ही तो थे। ये कानून ही तब बनाए गए थे, जब अंग्रेजी सत्ता भारत पर अपना शिकंजा बनाए रखने के लिए कुछ भी करने को तैयार थी।
देश अब उस कोलोनियल माइंडसेट से बाहर निकले, राष्ट्र के सामर्थ्य का प्रयोग राष्ट्र निर्माण में हो इसके लिए राष्ट्रीय चिंतन आवश्यक था। इसलिए मैंने 15 अगस्त को लाल किले से गुलामी की मानसिकता से मुक्ति का संकल्प देश के सामने रखा था। अब भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के जरिए देश ने उस दिशा में एक और मजबूत कदम उठाया है। हमारी न्याय संहिता लोगों की, लोगों द्वारा, लोगों के लिए उस भावना को सशक्त कर रही है, जो लोकतंत्र का आधार होती है।
पीएम ने कहा कि भारतीय न्याय संहिता का मूल मंत्र है- सिटीजन फर्स्ट। ये कानून नागरिक अधिकार के रक्षक बन रहे हैं, ‘न्याय में आसानी’ का आधार बन रहे हैं। पहले FIR को भी कानूनी रूप दिया गया था। भारतीय न्याय संहिता के लागू होने के बाद जेलों से ऐसे हजारों कैदियों को छोड़ा गया है, जो पुराने कानूनों की वजह से जेलों में बंद थे।