
कौन हैं मां प्रत्यंगिरा ? Pratyangira Kali Alayam
इस मंदिर की मुख्य देवी प्रत्यंगिरा देवी हैं। इन्हें अक्सर सिंहमुखी स्वरूप में दर्शाया जाता है और माना जाता है कि वे मां काली की ही एक उग्र शक्ति हैं। भक्तों का विश्वास है कि यह स्वरूप नकारात्मक शक्तियों का नाश कर सुरक्षा प्रदान करता है। मां प्रत्यंगिरा की पूजा सामान्य रूप से हर कोई नहीं करता। इसे विशेष और गूढ़ साधना माना गया है, जिसे गुरु के मार्गदर्शन में करने की परंपरा है।
थाई कारीगरी में छिपी आस्था की कहानी
बैंकॉक में न केवल मंदिर में मां का दर्शन किया जा सकता है, बल्कि यहां की स्थानीय कारीगरी में भी काली के स्वरूप को देखा जा सकता है। थाई कलाकार पीतल से काली की अद्भुत मूर्तियां बनाते हैं। इन प्रतिमाओं में देवी को उनके उग्र रूप में दिखाया जाता है: कई भुजाओं में अस्त्र-शस्त्र धारण किए हुए, जटाजूट बिखरे हुए, दांत और जिह्वा बाहर निकले हुए और भगवान शिव पर खड़ी हुई। बता दें, यह शिल्पकला काली के उस रूप का प्रतीक है जिसमें वे बुराई का अंत करके सृष्टि में संतुलन स्थापित करती हैं।
भक्त मानते हैं संरक्षक और शक्ति का प्रतीक मां काली का स्वरूप केवल विनाश का प्रतीक नहीं है। वास्तव में, उनका क्रोधमय रूप पुराने और नकारात्मक तत्त्वों को समाप्त कर नव-सृजन का मार्ग प्रशस्त करता है। यही कारण है कि भक्त उन्हें एक संरक्षक शक्ति मानते हैं। बैंकॉक में उनकी उपस्थिति इस बात का प्रमाण है कि सनातन धर्म और हिंदू आस्थाएं केवल भारत तक सीमित नहीं हैं, बल्कि विश्वभर में लोगों के जीवन और संस्कृति का हिस्सा बन चुकी हैं।
थाईलैंड के बैंकॉक स्थित श्री महा प्रत्यंगिरा कालिका देवी आलयम केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि यह भारतीय आध्यात्मिकता की वैश्विक पहुंच का जीवंत उदाहरण है। मां काली का यह स्वरूप हमें याद दिलाता है कि चाहे हम कहीं भी हों, देवी की शक्ति, उनका संरक्षण और उनका संदेश हर जगह समान रूप से प्रभावशाली और प्रेरणादायक है।