Puja ka Sahi Samay: सुबह, शाम या दोपहर? कब खुश होते हैं भगवान

Puja ka Sahi Samay हिंदू धर्म में पूजा-पाठ करना बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. इस बीच आज हम आपको पूजा करने का सबसे उतम समय के बारे में बताने जा रहे हैं. अगर आप सही समय पर पूजा करते हैं तो आपकी भक्ति का अधिकतम फल मिलता है. शास्त्रों के अनुसार, सूर्योदय का समय पूजा के लिए सबसे उत्तम होता है, क्योंकि इस समय वातावरण शुद्ध और ऊर्जा सकारात्मक होती है.

Puja ka Sahi Samay

पूजा-पाठ करने का सही समय(Puja ka Sahi Samay) क्या है? यह सवाल हर भक्त के मन में आता है, क्योंकि पूजा तभी सफल मानी जाती है जब वह सही समय पर की जाए. हिंदू धर्म में पूजा-अर्चना को जीवन का अभिन्न हिस्सा माना गया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि पूजा का एक निश्चित समय होता है, जब ईश्वर तक आपकी प्रार्थना शीघ्र पहुंचती है? शास्त्रों में इस बात का स्पष्ट उल्लेख मिलता है कि किस समय पूजा करना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है और किन समयों पर पूजा करने से लाभ कम मिलता है.यदि आप भी चाहते हैं कि आपकी भक्ति का अधिकतम फल मिले और आपकी प्रार्थनाएं जल्द स्वीकार हों, तो आपको पूजा करने का सही समय जानना बेहद आवश्यक है. आइए जानते हैं कि कौन-सा समय पूजा के लिए सर्वोत्तम है और किन समयों पर पूजा से बचना चाहिए.

पूजा-पाठ का सबसे उत्तम समय(Puja ka Sahi Samay)

शास्त्रों के अनुसार, सूर्योदय का समय पूजा-पाठ के लिए सबसे उत्तम माना जाता है. इस समय वातावरण शुद्ध और सकारात्मक ऊर्जा से भरा होता है. यह समय इसलिए भी खास है क्योंकि सुबह के वक्त मन और शरीर दोनों ही शुद्ध अवस्था में होते हैं, जिससे ध्यान लगाना आसान हो जाता है. माना जाता है कि इस समय की गई पूजा अधिक प्रभावशाली होती है और ईश्वर जल्दी प्रसन्न होते हैं.

Puja ka Sahi Samay

संध्याकाल: दूसरा सबसे पवित्र समय

यदि आप किसी कारणवश सुबह पूजा नहीं कर सकते, तो संध्या का समय भी श्रेष्ठ माना जाता है. इसे गोधूलि बेला कहा जाता है, जो दिन और रात के मिलन का समय होता है. इस समय पूजा करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और मन में शांति बनी रहती है. वेदों में संध्याकालीन पूजा को विशेष महत्व दिया गया है, इसलिए यदि आप अपनी पूजा को अधिक फलदायी बनाना चाहते हैं, तो इस समय भक्ति करें.

कब नहीं करनी चाहिए पूजा?

शास्त्रों के अनुसार, दोपहर का समय पूजा के लिए उचित नहीं माना गया है. इस समय को अभिजीत मुहूर्त कहा जाता है, जिसे पितरों का समय माना जाता है. दोपहर में भगवान विश्राम करते हैं, इसलिए इस समय पूजा करने से उसका पूर्ण फल नहीं मिलता. इस दौरान यदि आप पूजा करते भी हैं, तो उसका प्रभाव उतना सकारात्मक नहीं होगा जितना कि सुबह या शाम को किया गया पूजा-पाठ देता है.

Puja ka Sahi Samay

पूजा-पाठ का सही समय क्यों है महत्वपूर्ण?

पूजा-पाठ का समय केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि यह आध्यात्मिक ऊर्जा और सकारात्मकता से जुड़ा हुआ है. जब हम सही समय पर भगवान की आराधना करते हैं, तो मन और आत्मा दोनों को शांति मिलती है. साथ ही, इससे घर में सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है.

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