Raja Bhoj Gangu Teli बचपन से लेकर आज तक हजारों बार इस कहावत को सुना होगा- “कहां राजा भोज- कहां गंगू तेली”. आमतौर पर यह ही पढ़ाया और बताया जाता था कि इस कहावत का अर्थ अमीर और गरीब के बीच तुलना करने के लिए है. दरअसल, कहां राजा भोज और कहां गंगू तेली वाली कहावत का अमीरी और गरीबी का दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं है. इसके अलावा न ही इस इस कहावत का गंगू तेली से कोई संबंध है. आइए जानते हैं “कहां राजा भोज- कहां गंगू तेली” कहावत की सच्चाई की कहानी क्या है.
“कहां राजा भोज- कहां गंगू तेली” का मतलब Raja Bhoj Gangu Teli

अक्सर लोग “कहां राजा भोज- कहां गंगू तेली” कहावत को लेकर यही सोचते हैं कि किसी गंगू नाम के तेली की तुलना राजा भोज से की जा रही है. मगर, ये एक सिरे से गलत है. बल्कि, गंगू तेली नाम के शख्स खुद राजा थे. इस कहावत का असलियत जानकर उन लोगों का भी बौद्धिक विकास होगा जो आज तक इसका इस्तेमाल अमीरी-गरीबी की तुलना के लिए करते आए हैं.
व्यंग्य के तौर पर कहावत हुई प्रसिद्ध
राजा भोज परमार वंश के 9वें राजा थे. राजा भोज 55 वर्ष के जीवन में कई लड़ाइयां लड़े और जीते. मध्य प्रदेश का धार उनकी राजधानी हुआ करता था. इतना ही नहीं उन्होंने मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल शहर को भी बसाया था. तब उस शहर को भोजपाल नगर कहा जाता था जो वक्त के साथ पहले भूपाल और अब भोपाल के नाम से जाना जाता है. ये तो हुआ एक राजा का परिचय लेकिन उनका एक और परिचय भी है. फ़ारसी विद्वान अल-बरुनी जो 1018-19 में महमूद गजनवी के साथ भारत आए थे, उन्होंने भी अपनी एक कहानी में राजा भोज का जिक्र किया है. भोज बड़े विद्वान भी थे. उनके पास धर्म, व्याकरण, भाषा, कविता आदि का ज्ञान था. भोज ने सरस्वतीकण्ठाभरण, श्रंगारमंजरी, चम्पूरामायण जैसे कई ग्रन्थ लिखे जिसमें से 80 आज भी उपलब्ध हैं.
राजा भोज ने छोटी सी सेना से दोनों को हरा दिया
गंगू-तेली का इतिहास काफी रोचक है… अब बात करते हैं ‘गंगू-तेली’ की, इतिहासकारों की इनके बारे में अलग-अलग राय है, कुछ इतिहासकारों का मानना है कि गंगू और तेली दो लोग थे जो कि दक्षिण भारत के राजा थे, गंगू का पूरा नाम कलचुरि नरेश गांगेय था, जबकि तेली का पूरा नाम चालुक्य नरेश तैलंग था, ये दोनों अपने आप को काफी बहादुर और बुद्धिमान समझते थे इसलिए इन्होंने राजा भोज के राज्य पर आक्रमण कर दिया था। इनके पास काफी सेना थी, जिससे मुकाबला करने के लिए राजा भोज अपनी सेना की एक छोटी सी टुकड़ी लेकर पहुंचे थे और उन्होंने दोनों को धूल चटा दी थी, जिसके बाद लोगों ने तंज कसते हुए ये कहावत बना दी लेकिन पहले लोग कहते थे ‘कहां राजा भोज और कहां गांगेय-तैलंग’ लेकिन बाद में नाम बिगाड़ते-बिगाड़ते ‘कहां राजा भोज और कहां गंगू-तेली’ चलन में बन गया।
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