Ratan Tata Death : दुनिया से टाटा कह गए देश के रतन

Ratan Tata Death भारतीय उद्योग जगत के दिग्गज और भारत के कॉर्पोरेट परिदृश्य को आकार देने वाले परोपकारी व्यक्ति, पद्म विभूषण श्री रतन टाटा के निधन से देश ने एक अनमोल रतन खो दिया है। आइये आपको बताते हैं क्यों अनमोल थे दिग्गज रतन टाटा …. बात जब सफल भारतीय बिजनेसमैन की होती है, तो रतन टाटा का नाम सबसे ऊपर आता है। रतन टाटा सिर्फ उद्योग जगत में ही अपनी सफलता के लिए नहीं जाने जाते बल्कि उन्होंने अपने व्यक्तित्व से भी अलग पहचान बनाई है। दुनिया के प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा का आज जन्मदिन है, वे आज 84 साल के हो गए हैं। आज रतन टाटा लोगों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं।

 

उद्योगपति पद्म विभूषण रतन टाटा का निधन Ratan Tata Death

रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को सूरत में हुआ था। रतन टाटा नवल टाटा के बेटे हैं, जिन्हे नवजबाई टाटा ने अपने पति रतनजी टाटा की मृत्यु के बाद गोद लिया था। रतन टाटा की शुरुआती शिक्षा मुंबई के कैंपियन स्कूल से हुई और कैथेड्रल में ही अपनी माध्यमिक शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने जॉन केनौन कॉलेज से वास्तुकला में अपनी बीएससी की। फिर कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से 1962 में संचारात्मक इंजीनियरिंग और 1975 में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस मैनेजमेंट प्रोग्राम किया।


1991 से 2012 तक टाटा ग्रुप के अध्यक्ष

रतन टाटा साल 1991 से लेकर 2012 तक टाटा ग्रुप के अध्यक्ष रहे। 28 दिसंबर 2012 को उन्होंने टाटा ग्रुप के अध्यक्ष पद को छोड़ दिया मगर वे अभी भी टाटा समूह के चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं। अपने कार्यकाल में वे टाटा ग्रुप के सभी प्रमुख कम्पनियों जैसे टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टाटा पावर, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, टाटा टी, टाटा केमिकल्स, इंडियन होटल्स और टाटा टेलीसर्विसेज के भी अध्यक्ष थे। उनके नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने नई ऊंचाइयों का हासिल किया।


पद्म भूषण और पद्म विभूषण अवार्ड से सम्मानित

टाटा संस के पूर्व अध्यक्ष रतन टाटा को साल 2008 में पद्म विभूषण और साल 2000 में पद्म भूषण अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। रतन टाटा को उनकी अध्यक्षता में टाटा समूह को आसमान की बुलंदियों तक पहुंचाने में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। आंकड़ों के अनुसार, उनके नेतृत्व में टाटा समूह के राजस्व में 40 गुना से अधिक और लाभ में 50 गुना से अधिक की वृद्धि हुई।

सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर भागीदारी
बता दें कि रतन टाटा का परिवार हमेशा से ही सामाजिक और धार्मिक कार्यों में आगे रहता है। रतन टाटा को हमेशा गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करते हुए देखा जाता है। कोरोना महामारी के दौर की अगर बात करें तो उन्होंने पीएम केयर्स फंड में 500 करोड़ की बड़ी राशि दान की थी और इसके अलावा भी वे कई तरह के सामजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर भागीदारी करते हैं।

रतन टाटा के अद्भुत विचारों में सफलता का मंत्र

मैं सही निर्णय लेने में विश्वास नहीं करता। मैं निर्णय लेता हूं और फिर उन्हें सही बनाता हूं।
जो पत्थर लोग तुम पर फेंकते हैं। उनका इस्तेमाल स्मारक बनाने में करो।
ऐसी कई चीजें हैं जो अगर मुझे दोबारा जीने का मौका मिले तो शायद मैं अलग तरीके से करूंगा लेकिन मैं पीछे मुड़कर यह नहीं देखना चाहूंगा कि मैं क्या नहीं कर पाया।
अगर आप तेजी से चलना चाहते हैं तो अकेले चलिए लेकिन अगर दूर तक चलना चाहते हैं तो साथ मिलकर चलिए।
वो इंसान जो दूसरों की नकल करता है, थोड़े वक्त के लिए सफल हो सकता है लेकिन जीवन में बहुत आगे नहीं बढ़ सकता।
लोहे को कोई नष्ट नहीं कर सकता, उसका अपना ही जंग उसे नष्ट कर सकता है। इसी तरह कोई भी व्यक्ति को नष्ट नहीं कर सकता लेकिन उसकी अपनी मानसिकता कर सकती है।
जीवन में आगे बढ़ने के लिए उत्तार चढ़ाव जरूरी है, क्योंकि ईसीजी में भी एक सीधी लाइन का मतलब होता है कि हम जिंदा नहीं है।

ShiningUttarakhandNews

We are in the field of Electronic Media from more than 20 years. In this long journey we worked for some news papers , News Channels , Film and Tv Commercial as a contant writer , Field Reporter and Editorial Section.Now it's our New venture of News and Informative Reporting with positive aproch specially dedicated to Devbhumi Uttarakhand and it's glorious Culture , Traditions and unseen pictures of Valley..So plz support us and give ur valuable suggestions and information for impressive stories here.