rudranath temple चमोली जिले के उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित पंच केदारों में से चतुर्थ केदार रुद्रनाथ मंदिर के कपाट शनिवार को ब्रह्ममुहूर्त में ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिए गए हैं। इस मौके पर यहां मुख्य पुजारी आचार्य वेद प्रकाश भट्ट ने पौराणिक परंपराओं के अनुसार पूजा-अर्चना कर मंदिर के कपाट खोले। मंदिर के कपाट खुलने के मौके पर सैकड़ों की संख्या में शिवभक्तों ने भगवान रुद्रनाथ के दक्षिणमुखी मुखारविंद के निर्वाण दर्शन कर पूजा अर्चना की।
पांडवों को शिव ने मुख के दर्शन दिए थे rudranath temple
रुद्रनाथ भगवान की विग्रह डोली ने 16 मई को अपने शीतकालीन गद्दी स्थली गोपीनाथ मंदिर से रुद्रनाथ मंदिर के लिये प्रस्थान किया। इसके बाद यात्रा रात्रि प्रवास के लिये ल्वींटी बुग्याल पहुंची, जहां 17 मई को प्रातः कालीन पूजा अर्चना के बाद चल विग्रह दोपहर में रुद्रनाथ धाम पहुंची। 18 मई को पूजा-अर्चना के बाद मंदिर के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिए गए हैं। पंचकेदारों में चतुर्थ केदार रुद्रनाथ में भगवान शिव के एकनान स्वरुप मुख की पूजा होती है। कपाट खुलने के बाद अगले 6 माह तक रुद्रनाथ में भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना की जायेगी।
रुद्रनाथ मंदिर के कपाट खुलने के मौके पर उम्मीदें ग्रुप और गोपीनाथ रुद्रनाथ मंदिर समिति की ओर से मंदिर को गेंदे के फूलों से सजाया गया था। जबकि उम्मीदें ग्रुप की ओर से मंदिर में भंडारे का भी आयोजन किया गया। पंडित हरीश भट्ट का कहना है कि रुद्रनाथ देश में एकमात्र मंदिर है, जहां भगवान शिव के दक्षिणमुखी एकानन मुखमंडल के दर्शन होते है। ऐसे में यह स्थान शिव भक्तों के लिये पौराणिक काल से ही आस्था और विश्वास का प्रतीक रहा है।
समुद्र तल से 11808 मीटर की ऊंचाई पर रुद्रनाथ मंदिर स्थित है। सुबह पुजारी की अगुवाई में श्रद्धालु नारद कुंड में स्नान कर भगवान रुद्रनाथ के जलाभिषेक के लिए जल लाए। सुबह 6 बजे पुजारी ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ रुद्रनाथ मंदिर के कपाट खोले। कपाट खुलने के साथ भोलेनाथ के अभिषेक के बाद बुग्याली फूलों से श्रृंगार हुआ। फिर आम श्रद्धालुओं ने दर्शन कर पूजा अर्चना की। मान्यता है कि शिव के मुख के दर्शन भारत में एकमात्र चतुर्थ केदार रुद्रनाथ धाम में होते हैं। शास्त्र मान्यता है कि रुद्रनाथ में स्वर्गारोहणी यात्रा पर जा रहे पांडवों को शिव ने मुख के दर्शन दिए थे। रुद्रनाथ की यात्रा दुर्गम मानी जाती है। गोपेश्वर के मंडल-चोपता हाईवे पर तीन किमी की दूरी तय कर सगर गांव से रुद्रनाथ की 19 किमी पैदल यात्रा शुरू होती है। इस यात्रा में पनार सहित अन्य मखमली बुग्याल, बर्फ से आच्छादित पर्वत श्रृंखला देखते बनती है।