पीजीआई चंडीगढ़ की किसी भी यूनियन या कर्मचारी के हड़ताल पर जाने पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पूरी तरह से रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने कहा कि कर्मचारियों व पीजीआई के बीच का विवाद सुलह अधिकारी के पास लंबित है।
हाईकोर्ट ने सुलह अधिकारी को दो माह के भीतर इस विवाद का निपटारा करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि संस्थान का काम रुकना नहीं चहिए, इस पर केवल चंडीगढ़ नहीं बल्कि पड़ोसी राज्य भी निर्भर हैं।
पीजीआई चंडीगढ़ ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए बताया था कि 16 सितंबर को पीजीआई अटेंडेंट कॉनट्रेक्ट वर्कर यूनियन ने पीजीआई को नोटिस दिया कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के फरवरी 2020 में दिए आदेश के अनुसार अनुबंधित कर्मियों को नियमित कर्मियों के समान वेतन दिया जाए। साथ ही इस वेतन का एरियर जारी किया जाए और इसमें से कोई कटौती न की जाए।
हाईकोर्ट ने कहा कि अस्पताल अनिवार्य क्षेत्र है और इसके कर्मचारी सेवा विवाद के चलते काम से गैर मौजूद नहीं रह सकते। इससे पीजीआई की स्वच्छता और सफाई व्यवस्था खतरे में पड़ गई है। पीजीआई उत्तर क्षेत्र का बेहतरीन संस्थान है और इस हड़ताल से इसकी बदनामी हो रही है। 1947 के अनिवार्य सेवा एक्ट के तहत कर्मचारियों की हड़ताल पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।