swachha Bharat Abhiyan मोदी सरकार को ठेंगा दिखा रहे कुत्ते !

देहरादून से आशीष तिवारी की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट –


swachha Bharat Abhiyan कल्पना कीजिये कि आपको भोर या देर रात अपने किसी रिश्तेदार को लेने देहरादून रेलवे स्टेशन जाना है और घर से निकलते ही क्या होगा ज़ब आपके पीछे गली, सड़क के सन्नाटे में खौफनाक लफंगे आवारा कुत्ते झुण्ड में भोंकते हुए हाँथ धो कर आपके पीछे पड़ जायेंगे …. कल्पना कीजिये की आप मॉर्निंग वाक के लिए सुबह अपने घर से भगवान का नाम लेकर निकलें और रास्ते में आवारा कुत्तों की पोट्टी में आपका वाकिंग शूज फचाक से पड़ जाये और आप किमकर्तव्यविमूढ़ से हालत में न कुछ कह पाए और न कर पाए ……अच्छा ये सब भी रहने दें तो उन कुत्तों का क्या इलाज है जो आपकी कॉलोनी, गली और पड़ोस में देर रात रोजाना घंटों भोंक भोक कर आपकी नींद में खलल ड़ालते हैँ और आप खींज़ कर सिर्फ करवटें बदल बुदबुदाकर कर रह जाते हैँ

कुत्ते बने स्वच्छ भारत अभियान के खलनायक swachha Bharat Abhiyan


दून अस्पताल हो या कोरोनेशन या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अगर आपको या आपके किसी परिचित को दुर्भाग्यवश किसी आवारा कुत्ते ने काट लिया तो यकीन मानिये अस्पताल में उसका इलाज और इंजेक्शन मिलना दूर की कौड़ी ही है…..हम ये डरावना लेकिन रोज़मर्रा में झेलने वाले खतरों के बारे में क्यों बात कर  रहे हैँ ?  यक़ीनन यही सोच रहे होंगे आप…लेकिन ज़नाब ये देश और हमारे प्रदेश की वो समस्या है जिसका समाधान  न सरकार के पास है न किसी विभाग के पास मिलेगा…. हम बात कर रहे हैँ अपने स्मार्ट सिटी देहरादून में बेतहाशा बढ़ती आवारा कुत्तों की समस्या की जो सीधे केंद्र सरकार को चुनौती दे रही हैँ…..


जनाब ये समस्या आपके रोज़मर्रा से जुडी है

अब आप कहेँगे की कुत्ते  मोदी सरकार को ठेंगा कैसे दिखा रहे हैँ तो आपको याद दिला दें खुले में शौच न करने के उस अभियान की जिसके बाद पूरे देश में ओडीएफ के तहद जागरूकता बढ़ाई गईं और गाँव गाँव शौचालय बनवाये गए… लेकिन गज़ब सच्चाई ये है की इंसान तो शौचालय में बैठने लगा लेकिन आवारा कुत्तों ने सड़कों पर जमकर गंध मचाई हुई है… उसपर पॉश कॉलोनी और बड़ी बड़ी सोसाइटी के धन्नासेठ अपने नाजुक और मँहगे कुत्तों को पॉटी कराने के लिए सड़क, गली पार्क और सार्वजनिक स्थानों में टहलाते हुए आम राहगीरों के लिए मुसीबत पैदा करते हैँ जिसपर कोई ध्यान ही नहीं दिया जा रहा है….. अकेले देहरादून की बात करें तो एक अनुमान के मुताबिक स्मार्ट देहरादून में 50 हज़ार से ज्यादा तो आवारा कुत्ते हैँ उस पर हर दूसरे घर में कुत्तों की मौजूदगी जिसके बाद खुले में शौच का आलम क्या है इसके लिए आप एक दिन सुबह इन कॉलोनियों का दौरा कर लेंगे तो सच्चाई पता चल जाएगी….


स्मार्ट सिटी देहरादून में कुत्तों की फौज और मौज

अगर आप एक पूरा दिन कुत्तों की समस्या को समझने में खपाएंगे तो यकीन मानिये सिर खुजाने लगेंगे.. रेसकोर्स, डालनवाला, डिफेंस कॉलोनी, बसंत विहार, राजपुर रोड की बेशकीमती कॉलोनी से लेकर मलिन बस्तियों की घनी बस्तियों में आपको पालतू कुत्तों से लेकर आवारा घुमक्कड़ कुत्तों की अलग अलग वेरायटी और झुण्ड मिल जायेंगे… लेकिन इनमे एक बात कॉमन है और वो है खुले में पॉटी और गंदगी फैलाना जिसका कोई न जवाबदेह है न ही कोई ज़िम्मेदार…. कुछ कभी किसी ने विरोध या सलाह भी देने की कोशिश की तो कुत्तों के मालिक रसूख का जलवा दिखाकर खामोश कर देते हैँ लिहाज़ा इसी को नियति मानकर विरोध करने वाले नागरिक अपना सा मुंह लेकर खिसियानी नजर तरेर आगे बढ़ जाते हैँ… लेकिन यही वो पल है ज़ब कुत्ते खुले में शौच अभियान को ठेंगा दिखाते हुए मालिक के सँग दुम हिलाते गर्वित महसूस करते हैँ…


कब मिलेगी आवारा कुत्तों के खतरे से निजात ?

खुद को स्मार्ट सिटी मानकर देहरादून भले ही शेखी बघारे और मॉल कल्चर में वक़्त के सँग हाई फाई नजर आता हो लेकिन इस मामूली सी लगने वाली आम आदमी की रोज़मर्रा की समस्या पर उसका आँखे तरेरना और आँखे मूंद लेना कहीं से सभ्य समाज के लिए हितकर नहीं कहा जा सकता है… जिस शहर में सरकार रहती है… मंत्रियों, विधायकों आईएएस आईपीएस और वीआईपी लोग रहते हों… मसूरी देहरादून में रोजाना देश भर से बड़ी संख्या में पर्यटक आते हों वहां नगर निगम हो या प्रदेश का पशुपालन विभाग उन्हें इस मानवीय समस्या पर संवेदनशील होने की सख़्त ज़रूरत है क्योंकि बढ़ते आवारा कुत्तों की ये समस्या न सिर्फ मोदी सरकार के स्वच्छ भारत अभियान और खुले में शौच मुक्त भारत के लिए चुनौती है बल्कि आम नागरिकों की ज़िन्दगी और सुकून भरी नींद के लिए भी एक मुसीबत बनी हुयी है…स्मार्ट सिटी को अब जल्द से जल्द इन आवारा कुत्तों की मुसीबत से निजात की सख्त ज़रूरत है..

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