Tata Amritdhara टाटा मोटर्स द्वारा संचालित अमृतधारा पहल के माध्यम से रानीखेत और अल्मोड़ा के ग्रामीण इलाकों के लोग जल संकट का समाधान ढूंढने में सक्षम हो पाये हैं। टाटा मोटर्स द्वारा यह कार्यक्रम अपने एनजीओ एसएमडीएफ (सुमंत मूलगांवकर डेवलपमेंट फाउंडेशन) के सहयोग से चलाया जा रहा है। दुनिया के सबसे बड़े सामुदायिक नेतृत्व वाले ग्राउंडवाटर मैनेजमेंट प्रोग्राम (भूजल प्रबंधन कार्यक्रम) अटल भूजल योजना को चलाये जाने के बावजूद हमारे देश की सिर्फ आधी आबादी (लगभग 51%) को ही सुरक्षित पेयजल उपलब्ध हो पाता है।
पहाड़ों में प्यास बुझा रही टाटा Tata Amritdhara

टाटा मोटर्स अपने एनजीओ (एसएमडीएफ) के माध्यम से अमृतधारा प्रोग्राम नामक इस समुदाय केन्द्रित पहल का नेतृत्व कर रही है। संगठन ने पिछले 13 सालों में उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में 146 कुओं का एक मजबूत नेटवर्क तैयार किया है। ग्राम पंचायत द्वारा समर्थित ये कुएं ग्रामीणों के लिये जीवन का आधार बन गये हैं। इसके द्वारा पिछले एक दशक में 3,654 घरों में रोजाना 10.24 लाख लीटर स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है। पानी पहुंचाने के लिये प्राकृतिक संसाधनों के इस्तेमाल के प्रति इस सतत् प्रयास के अलावा, 11 सरकारी स्कूलों में रूफटॉप रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी लगाये गये हैं, जिससे 2200 विद्यार्थियों और शिक्षकों को स्वच्छ पेयजल मिल पाया है।
टाटा मोटर्स के सीएसआर हेड विनोद कुलकर्णी ने अमृतधारा कार्यक्रम के प्रभाव पर रोशनी डालते हुये, “स्वच्छ जल तक पहुंच अभी भी कई लोगों के लिये एक दूर का सपना बना हुआ है। हालांकि, सरकारी निकायों द्वारा भी लोगों को आसानी से जल उपलब्ध कराने के लिये कई कदम उठाये गये हैं, लेकिन सहभागी परियोजनाओं का प्रभाव टिकाऊ और साथ ही दुनिया भर में ज्यादा सफल होता है। उत्तराखंड में जल सुलभ कराने के लिये टाटा मोटर्स से एक प्रेरक शक्ति रही है। इससे महिलाओं के समय की बचत हुई है, जिससे महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिला है और ग्रामीण स्कूलों में लड़कियों का नामांकन भी बढ़ रहा है। उत्तराखंड में आये इस बदलाव पर हमें गर्व है और हम एक स्थायित्व पूर्ण एवं सकारात्मक परिवर्तन लाने के आने प्रयासों को बढ़ाना जारी रखेंगे।
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