Toilets in School : शौचालय मांगे स्टूडेंट्स , सक्रिय हुए डीजी

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देहरादून से अनीता तिवारी की रिपोर्ट – 

toilets-in-school स्कूलों में टॉयलेट का होना बेहद जरूरी है ताकि यहां पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े । खास करके महिला स्टाफ और लड़कियों को , लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड में अभी ऐसे स्कूल है जहां बच्चों को टॉयलेट की समस्या झेलनी पड़ रही है।  नहीं हो पा रही है और इस समस्या से जूझते बच्चे अब उत्तराखंड सरकार ,  शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग से टॉयलेट की मांग कर रहे हैं ।हांलाकि स्टूडेंट्स की इस मांग की आवाज डीजी शिक्षा बंशीधर तिवारी तक पहुंची है और उन्होंने  निर्देश भी दे दिए हैं।

उत्तरकाशी के 124 स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय नहीं toilets-in-schoo

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प्रदेश के 2617 स्कूलों में छात्रों के लिए अलग शौचालय नहीं हैं। इससे बरसात के मौसम में हजारों छात्र-छात्राओं की परेशानी बढ़ गयी है. शिक्षा विभाग के मुताबिक कई स्कूलों में साफ-सफाई के अभाव में शौचालय बंद हैं. हांलाकि डीजी बंशीधर तिवारी ने तेज़ी से सुधार के लिए एक्शन लेते हुए सभी स्कूलों में बंद शौचालयों को खुलवाने के साथ ही शौचालयों की व्यवस्था की बात कही है। बीते कुछ सालों के दौरान शिक्षा विभाग स्कूलों को हाईटेक बनाने का तो दावा करता है लेकिन आज भी कई सरकारी प्राइमरी, जूनियर हाईस्कूल और माध्यमिक स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं पहुंची ही नहीं हैं। जिसके कारण छात्रों को इस बरसात के मौसम में भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।लेकिन अब उन्हें उम्मीद भी नज़र आ रही है।

क्या है मौजूदा हालात देखिये ये आंकड़े – 

शिक्षा विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार, 11226 सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में से 841 में लड़कों के लिए और 1011 में लड़कियों के लिए शौचालय नहीं हैं। इनमें अल्मोडा जिले की 141 बालिकाओं के पास शौचालय नहीं है। जबकि बागेश्वर जिले में 44,चमोली में 75,चंपावत में 35,देहरादून में 43,हरिद्वार में 12,नैनीताल में 66,पौड़ी में 135,पिथौरागढ़ में 72,रुद्रप्रयाग में 71,तिहरी में 142,उत्तर सिंघम में 51 और उत्तर सिंघम में 124 स्कूल हैं। नगर में लड़कियों के लिए शौचालय नहीं है।

उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 213 बालक और 173 बालिकाओं के लिए शौचालय की व्यवस्था नहीं है। इसके अलावा, लड़कों के लिए 274 स्कूल और लड़कियों के लिए 105 माध्यमिक स्कूलों में शौचालय की कमी के कारण बरसात के मौसम में भारी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। यह स्थिति तब है जब विभाग द्वारा शिक्षा की गुणवत्ता और बुनियादी सुविधाओं में सुधार के नाम पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च किये जा रहे हैं. शिक्षा विभाग का अब व्यवस्था सुधार का ये दावा कब तक इन बच्चों के लिए राहत लेकर आएगा ये देखना होगा।

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