
भूलने की बीमारी कहे जाने वाले अल्जाइमर रोग (एडी) के इलाज की दिशा में बड़ी सफलता मिली है। मोहाली स्थित इंस्टीट्यूट आफ नैनो साइंस एंड टेक्नोलाजी (आइएनएसटी) के विज्ञानियों ने नैनोपार्टिकल आधारित नई उपचार पद्धति विकसित की है। इसमें ग्रीन टी में पाए जाने वाले एक प्रोटीन को तीन अन्य प्रोटीन के साथ मिलाकर ऐसी दवा बनाई गई है, जो अल्जाइमर के कारण उत्पन्न कई समस्याओं को दूर करेगी। विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्रालय इसे बड़ी उपलब्धि बता रहा है। पेटेंट प्रक्रिया और क्लिनिकल ट्रायल की तैयारी शुरू कर दी गई है।

शोध टीम का नेतृत्व करने वाली आइएनएसटी की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. जीवन ज्योति पांडा बताती हैं कि नई पद्धति नैनोपार्टिकल्स पर आधारित है। इसमें ग्रीन टी में पाए जाने वाले एंटी आक्सिडेंट (ईजीसीजी) को मूड और तंत्रिका संचार से जुड़े न्यूरोट्रांसमीटर डोपामिन (ईडीटीएनपी) और एमिनो एसिड ट्रिप्टोफैन के साथ जोड़ा गया है। सभी तीन प्रोटीन के मिलने से आइएनएसटी में अपनी टीम के साथ डॉ. जीवन ज्योति (दाएं से चौथी) जागरण

ईजीसीजी- डोपामिन-ट्रिप्टोफैन (ईडीटीएनपी) नैनोपार्टिकल्स बना । इन नैनोपार्टिकल्स पर ब्रेन- डिराइव्ड न्यूरोट्राफिक फैक्टर (बीडीएनएफ) को भी जोड़ा गया, जिससे एक उन्नत नैनोप्लेटफार्म तैयार हुआ । यह न केवल मस्तिष्क में जमा विषैले एमिलाइड बीटा प्रोटीन को साफ करता है, बल्कि न्यूरांस के पुनर्जनन और उनकी कार्यक्षमता को भी बढ़ावा देता है। उन्होंने बताया कि बीडीएनएफ न्यूरांस के जीवित रहने, बढ़ने और काम करने के लिए जरूरी एक प्रोटीन है। ईडीटीएनपी पर मिलाने से (बी-ईडीटीएनपी) एक ड्यूल एक्शन नैनोप्लेटफार्म बनता है जो न केवल न्यूरोटाक्सिक एमीलोइड बीटा एग्रीगेट्स (प्रोटीन के गुच्छे जो न्यूरल फंक्शन पर नकारात्मक असर डालते हैं) को साफ करता है, बल्कि न्यूरान को फिर से बनने में भी मदद करता है।

