Uttarakhand Madarsa Board : मदरसों में वेदपाठ कराएगी भाजपा सरकार !

देहरादून से अनीता तिवारी की रिपोर्ट –

Uttarakhand Madarsa Board पहले मदरसों में जांच , फिर संस्कृत पढ़ाने का आदेश और अब कुर्सी पर बैठते ही नए नवेले मदरसा बोर्ड चेयरमैन मुफ़्ती शमून क़ासमी ने बड़ा सियासी बम फोड़ दिया है। इस बयान के बाद उत्तराखंड ही नहीं देश भर के मदरसों को लेकर एक नयी बहस जन्म ले सकती है। दरअसल देहरादून में धामी सरकार ने टीम अन्ना के अहम मेंबर रहे मुफ़्ती शमून क़ासमी को भाजपा से वफादारी का इनाम देते हुये बोर्ड का चेयरमैन बनाया है और उन्होंने पहले दिन ही बड़ा बयान देकर माहौल बनाने की कोशिशे भी शुरू कर दी है।

 

देश में मॉडल बनेगा उत्तराखंड का मदरसा – क़ासमी Uttarakhand Madarsa Board

Uttarakhand Madarsa Board

जी हाँ ये वही मुफ़्ती शमून क़ासमी हैं जो कभी रामदेव के योग को सपोर्ट करते हैं तो कभी संघ और आरएसएस की विचारधारा को धाराप्रवाह बखान करते हुए मुस्लिमों को मोदी सरकार की तरफ आकर्षित करते नज़र आते हैं। यूपी के बिजनौर से ताल्लुक रखने वाले मुफ़्ती शमून क़ासमी यूँ तो दिल्ली मे अपनी ज़मीन तैयार कर रहे थे लेकिन अचानक उन्हें उत्तराखंड सरकार ने मदरसा बोर्ड का अध्यक्ष बना दिया है लिहाज़ा पहले दिन से ही उनका संघ प्रेम उड़ान भरने लगा है।

उन्होंने कहा है कि कुरआन के साथ साथ मदरसों में वेद पाठ पढ़ाया जायेगा चार धाम की संस्कृति , गाय और गंगा की अहमियत समझाई जाएगी जिससे बच्चों मे दोनों धर्मों का एक समान ज्ञान हो सके। भले ही मदरसे में ड्राप आउट बढ़ रहा हो …. भले ही मदरसों में आधुनिक शिक्षा के नाम पर बजट का बंदरबाट हो रहा हो …भले ही मदरसा संचालक योजनाओं का पैसा डकार रहा हो भले ही वजीफा ऑनलाइन होने के बाद भी खेल हो जा रहा हो …

हांलाकि इसके पहले उत्तराखंड वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष भी कुछ ऐसा ही बयान दे चुके हैं जहाँ मदरसों में संस्कृत पढ़ाने की बात कही गयी थी। अब ये हिन्दुत्व की बैसाखी से सियासी उड़ान भरने का सिर्फ हथकंडा है या वाकई कोई संजीदगी है इसमें ये तो माननीय बनाये गए ओहदेदार ही जाने , लेकिन सच्चाई तो ये है कि दोनों ही बोर्ड अपने वजूद की जद्दोजहद सालों से कर रहे हैं।

मदरसा बोर्ड को आज तक मान्यता नहीं मिली , बोर्ड में तयशुदा स्टाफ नहीं है , ऐडेड मदरसों के टीचर्स को लम्बे समय तक तनख्वाह नहीं मिलती है। इन मसलों की बजाय ओहदेदार आकाओं को खुश करने वाले बयान देकर कैसे बच्चों का मुस्तक़बिल संवारेंगे ये लाख टके का सवाल है।उम्मीद की जानी चाहिए कि मुफ़्ती शमून कासमी पहले के अध्यक्षों जैसा कार्यकाल न गुज़ार कर कुछ ठोस मिसाल कायम करेंगे क्योंकि धामी सरकार का विजन है कि आप बयान बहादुर नहीं ग्राउंड पर नतीजे देने वाले और ज़िम्मेदारी पर जवाबदेह बने वरना …..

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