Uttarakhand Minister Resign : प्रेमचंद का ये वीडियो और पूरी कहानी

Uttarakhand Minister Resign देश की राजनीती में शायद ये पहला मौका होगा जब किसी कद्दावर मंत्री और दबंग विधायक को एक शब्द बोलने की वजह से अपने मंत्री पद को छोड़ना पड़ गया है। जी हां पहाड़ मैदान की सियासी उबाल के बाद आखिरकार ऋषिकेश विधायक और उत्तराखंड के वित्तमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने बड़े भी भावुक अंदाज़ में त्यागपत्र दे दिया है।

Uttarakhand Minister Resign
आपको बता दें कि बीते दिनों उत्तराखंड सरकार के सीनियर मिनिस्टर और पूर्व विधान सभा अध्यक्ष डॉ प्रेमचंद अग्रवाल ने जब बजट पेश किया था शायद न उन्होंने और न ही खुद मुख्यमंत्री धामी ने इस हालत के बारे में सोचा होगा जो होली के अगले दिन ही राजनीती में बन गयी है और मीडिया के सामने नम आँखों से अपनी राजनैतिक यात्रा और उत्तराखंड राज्य आंदोलन की गाथा सुनाते सुनाते अचानक मंत्री अग्रवाल भावुक होकर इस्तीफे का फैसला बताएँगे।


हांलाकि ये एक सब पूर्व से ही निर्धारित भी माना जा रहा है जिसके मुताबिक खुद सरकार और संगठन ने उन्हें होली के तुरंत बाद इस्तीफे का आदेश सुना दिया था बस उनकी विदाई को सम्मान देने के लिए ये प्रेम कॉन्फ्रेंस आयोजित करना बाकी था।कयास अब ये भी लगाए जा रहे हैं कि अभी कुछ और मंत्री भी स्वतः या पार्टी आदेश के मुताबिक इस्तीफ़ा देने की पेशकश कर सकते हैं उसी के बाद मंत्रिमंडल विस्तार किया जायेगा।

 

कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल इस्तीफे का एलान करने से पहले अपनी धर्मपत्नी के साथ मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहा में बने उत्तराखंड शहीद स्मारक पहुंचे थे। उन्होंने अमर शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित करते हुए प्रदेश विकास की तरफ बढ़े और प्रदेश में सौहार्दपूर्ण वातावरण बना रहे, इसका संकल्प लिया।

बजट सत्र के दौरान सदन में पहाड़ी समुदाय के लोगों के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी देने के बाद से लगातार उनके इस्तीफे की मांग हो रही थी।उन्होंने पहले प्रेसवार्ता कर इसकी जानकारी दी और इसके बाद सीएम अवास पहुंचकर मुख्यमंत्री धामी को इस्तीफा सौंपा। प्रेसवार्ता कर वह भावुक हो गए। इससे पूर्व उन्होंने अपने राज्य आंदोलन में संघर्ष और योगदान को बताया।


इस्तीफे के एलान से पहले शहीदों को किया नमन

उन्होंने कहा कि जो उस वक्त बयान दिया था उस पर उसी दिन सदन में स्पष्टीकरण भी दे दिया था। मेरे भाव बिल्कुल गलत नहीं थे। गाली वाला शब्द भी उनके वक्तव्य से पहले का है। जो न तो पहाड़ के लिए कहा गया और न ही मैदान के लिए। वह पार्टी के पुराने कार्यकर्ता हैं। उनका जन्म उत्तराखंड में हुआ है। कुछ लोगों की ओर से सोशल मीडिया पर ऐसा माहौल बनाया गया। मैं भी आंदोलनकारी रहा हूं, लेकिन आज ये साबित करना पड़ रहा है कि हमने भी प्रदेश के लिए योगदान दिया है। लेकिन आज जिस तरह का माहौल बनाया जा रहा है उससे बहुत आहत हूं। इसलिए मुझे इस्तीफा देना पड़ रहा है।

 

 

 

 

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