women empowerment :पत्नी जैसा कोई नहीं , ये नारी है सब पर भारी 1 Great Truth

women empowerment इसमें कोई दो राय नहीं की एक औरत अपने जीवन में कई रिश्तों को जीती है , निभाती है और अपना सर्वश्रेष्ठ देती है। बावजूद इसके अक्सर मर्दों से उलाहना भी वही सुनती है फिर वो चाहे पिता हो , पति या भाई ही क्यों न हो। ऐसे में एक सह्रदय लेखक से जब अपनी पत्नी की खटपट हो गयी तो उसने अपने माफीनामे में क्या लिखा आप भी पढ़िए और आगे और लोगों को भी पढ़ाइये ….

women empowerment
women empowerment

ये जो औरत है हमारे तुम्हारे घर की
बाथरूम मे जाकर
कपड़े भिगोती है
बच्चो और पति की शर्ट की कॉलर घिसती है
बाथरूम का फर्श धोती है
ताकि चिकना न रहे
फिर बाल्टी और मग भी मांजती है
तब जाकर नहाती है
और तुम कहते हो कि
स्त्रियां नहाने में कितनी देर लगातीं है


women empowerment मातृशक्ति के सम्मान में सोशल मीडिया


women empowerment ये जो औरत है हमारे तुम्हारे घर की ..
किचन में जाकर
सब्जियों को साफ करती है
तो कभी मसाले निकलती है
बार बार अपने हाथों को धोती है
आटा मलती है
बर्तनों को कपड़े से  पोंछती है
वही दही जमाती , घी बनाती है
और तुम कहते हो
खाना  में कितनी देर लगेगी

ये जो औरत है हमारे तुम्हारे घर की
..बाजार जाती है
एक एक सामान को ठहराती है
अच्छी सब्जियों फलों को छाटती है
पैसे बचाने के चक्कर में पैदल
चल देती है
भीड में दुकान को तलाशती है
और तुम कहते हो कि
इतनी देर से क्या ले रही थी

women empowerment ये जो औरत है हमारे तुम्हारे घर की …
बच्चो और पति के जाने के बाद
चादर की सलवटे सुधारती है
सोफे के कुशन को ठीक करती है
सब्जियां फ्रीज में रखती है
कपड़े प्रेस करती है
राशन जमाती है
पौधों में पानी डालती है
कमरे साफ करती है
बर्तन , सामान जमाती है
और तुम कहते हो कि
दिनभर से क्या कर रही

ये जो औरत है हमारे तुम्हारे घर की ..
कही जाने के लिए तैयार होते समय
कपड़ो को उठाकर लाती है
दूध , खाना फ्रिज में रखती है
बच्चो को हिदायतें देती है
नल चेक करती है
दरवाजे लगाती है
फिर खुद को खूबसूरत बनाती है
ताकि तुमको अच्छा लगे
और तुम कहते हो
कितनी देर में तैयार होती हो

women empowerment ये जो औरत है हमारे तुम्हारे घर की …
बच्चो की पढ़ाई डिस्कस करती है
खाना पूछती है
घर का हिसाब बताती है
रिश्ते नातों की हालचाल बताती है
फीस बिल याद दिलाती है
और तुम कह देते कि
कितना बोलती हो

ये जो औरत है हमारे तुम्हारे घर की …
दिन भर काम करके थोड़ा
दर्द तुमसे बाट देती है
मायके की कभी याद आने पर
दुखी होती है
बच्चों के नंबर कम आने पर
परेशान होती है
थोड़ा सा आसू अपने आप आ जाते है
मायके में ससुराल की इज़्ज़त
ससुराल में मायके की बात
को रखने के लिए
वो कुछ बाते बनाती है
और तुम कहते हो की
स्त्रियां कितनी नाटकबाज
होती है

मातृशक्ति के सम्मान में सोशल मीडिया से साभार —–

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