Women Nature औरतों की कोमलता क्यों बन रही क्रूरता ?

Women Nature ‘नारी ’ इस शब्द के साथ कोमलता, सहानुभूति, रचनात्मकता, सुंदरता, सौम्यता, और विनम्रता जैसे भाव खुद ब खुद दिल और दिमाग में उभर जाते हैं। लेकिन आजकल समाज में रिश्तों की इसी नाजुक कड़ी के प्रति डर , शक और अनहोनी की ताजा घटित घटनाएं चौंकाने वाली हैं। इन घटनाओं से जुड़ी स्त्रियों में क्रूरता, धोखेबाजी, कठोरता, असंवेदनशीलता नजर आती हैं। हाल में हुई कुछ घटनाओं ने समाज को झकझोर दिया। सवाल उठता है कि भारतीय परिवारों में जहां महिला को घर की लक्ष्मी मानकर सम्मान मिलता है, उनको लेकर धारणाएं तो नहीं बदल जाएंगी। पति-पत्नी के विश्वास की डोर कमजोर क्यों हो रही है।

 

 महिलाओं की सोच और कर्म में अचानक परिवर्तन क्यों Women Nature


1- हनीमून कांड: इस कांड को नवविवाहिता सोनम ने अंजाम दिया। पूर्व प्रेमी के साथ मिलकर शिलांग में अपने पति राजा रघुवंशी की भाड़े के हत्यारों से नृशंस हत्या करवा दी। उसने राजा को अपनी आंखों के सामने मरवाया फिर गहरी खाई धकेल दिया।

2- नीला ड्रम कांड: नाम भले मुस्कान हो लेकिन उसने अपने प्रेमी साहिल के साथ मिलकर विदेश से लौटे पति सौरभ की बोटी-बोटी कटवा डाली। शरीर के अंगों को एक नीले ड्रम में डाला और उसमें सीमेंट का घोल डालकर जाम कर दिया। इसके बाद प्रेमी के साथ हिमाचल घूमने चली गई।

3-सास-दामाद कांड: प्रकरण अलीगढ़ का है। बेटी की शादी से महज 10 दिन पहले 25 वर्षीय सास दामाद के साथ भाग गई। दोनों की बाद में नाटकीय ढ़ंग से वापसी तो हुई लेकिन खून के रिश्ते अब भी सामान्य न हो सके।


देहरादून में जब हमने  मनोचिकित्सक से बात की तो उनका तर्क है कि ऐसे अपराध तो हमेशा से होते आए हैं, अंतर यह है कि इस तरह के अपराध महिलाओं द्वारा किए जाने लगे हैं, जो कि आश्चर्य का विषय है। पूर्व में महिलाओं को पुरुषों के साथ सहभागिता करने के मौके कम मिलते थे, जबकि वर्तमान में सब सामान्य है, इसलिए कृत्य भी एक जैसे होते जा रहे हैं। इसके अलावा सामाजिक स्तर और कानूनी संरचना बदलने से महिलाओं में भी मनोदशा बदल रही है। एक्सपर्ट्स . के मुताबिक, पहले लड़कियों को घर में रहने व पारिवारिक काम की जिम्मेदारी संभालने के मां द्वारा प्रेरित किया जाता था, पिछले कुछ दशकों से बराबरी की भावना और स्टेटस की प्रतिस्पर्धा में महिलाओं की सोच में बदलाव आया है। उन्हें तमाम सामाजिक-व्यवहारिक परेशानियों से निपटने के लिए लड़कियों को अभिभावक द्वारा खुद प्रशिक्षित किया जा रहा है। जिससे उनमें आत्मबल तो बढ़ा लेकिन कुछ स्तर पर सोच आक्रामक भी हो गई।

मनोचिकित्सक का कहना है कि समाज में नशे की लत बढ़ने के साथ ही परिवार के साथ भावनात्मक लगाव कम होना और उपभोक्तावाद हावी होना प्रमुख है। महिलाएं तेजी से हर क्षेत्र में बढ़ रही हैं। इस प्रतिस्पर्धा में परिवार के साथ बिताने को उनके पास समय नहीं है, जिससे लगाव कम हो रहा है। इश्क व प्यार रोमांस वासनात्मक हो सकता हैं, थोडे समय के लिए ही गंभीर निर्णय कर ले रहीं हैं, भविष्य नहीं सोच रहीं। इन सभी कारणों के पीछे हमारे समाज की भी मुख्य भूमिका है। मनोचिकित्सक का कहना है कि परिवारजनों को अपने बच्चों को समय देना चाहिए, विभिन्न विषयों पर काउंसलिंग भी करनी चाहिए।


लड़कियां घर के दबाव से बाहर आ चुकी हैं

मनोचिकित्सक का विचार है कि अब 10 घटनाओं में एक घटना महिला द्वारा भी हो रही है, इसलिए चर्चा ज्यादा हो रही है। इसके पीछे उनका शिक्षित और सेल्फ डिपेंड होना है। साथ ही पुरुषों के मुकाबले खुद को कमतर न समझने की भावना। इन्हीं वजहों से अब महिलाओं में तलाक का भय नही है। वह पहले शादी के पहले पिता पर और बाद में पति पर निर्भर थीं, अब स्थितियां बदल चुकीं हैं। लड़कियां घर के दबाव से बाहर आ चुकी हैं, महत्वाकांक्षा बढ़ गयी है, किसी स्तर पर समझौता नहीं करतीं हैं, उन्हें खुद से जीने का तरीका पता है। सोशल मीडिया का भी दोष कम नहीं, अनजाने लोंग फ्रेंड बन रहे हैं, स्टेटस देख ही प्रभावित हो रही हैं लड़कियां। वे अपना लक्ष्य पाने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं, इसलिए घटनाएं भी घटित हो रही हैं।