Varun Gandhi Amethi ऐसे वक़्त मे जब हर पार्टी का नेता टिकट पाने और जीत के लिए बीजेपी दफ्तर की तरफ भाग रहा है ऐसे में यूपी के बड़े नेता और फायरब्रांड युवा लीडर वरुण गांधी बीजेपी के लिए बोले गए कड़वे और तीखे बयानों का खामियाज़ा भी भुगतने को तैयार बैठे हैं। राजनैतिक हलके में खबर तेज़ है कि कांग्रेस और सपा का गठबंधन वरुण गांधी को अमेठी से उतार सकता हैं या निर्दलीय लड़ते हुए वरुण को बाहर से स्पोर्ट दिया जा सकता है। इससे जहाँ ये सीट गांधी परिवार के पास ही आ सकती है वहीँ बीजेपी को बड़ा झटका भी दिया जा सकता है।
अमेठी से लोकसभा चुनाव लड़ने की संभावना Varun Gandhi Amethi
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कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के अमेठी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने को लेकर मनाही के कारण, पारंपरिक सीट पर स्थानीय लोग अब दूसरे गांधी – वरुण गांधी के पक्ष में आते दिख रहे हैं क्योंकि जब से राहुल गांधी 2019 में अमेठी से भाजपा की स्मृति ईरानी से चुनाव हार गए, तब से उन्होंने अपने ‘पारिवारिक निर्वाचन क्षेत्र’ में कोई ख़ास दिलचस्पी नहीं दिखाई है। ऐसे में अखिलेश के मित्र और राहुल के भाई वरुण इस किले पर अपना कब्ज़ा करते हुए गठबंधन का साथ दे सकते हैं। क्योंकि संभव है कि राहुल फिर से वायनाड से चुनाव लड़ना पसंद करेंगे।
अगर प्रियंका गांधी लोकसभा चुनाव लड़ती हैं तो उनके अमेठी की जगह रायबरेली को चुनने की भी संभावना है। इस आशय का संकेत पहले से ही उस पत्र में दिया गया था, जो सोनिया ने इस महीने की शुरुआत में अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों को लिखा था, जिसमें उन्होंने कहा था, “मुझे पता है कि आप भविष्य में भी मेरे और मेरे परिवार के साथ खड़े रहेंगे, जैसा कि आप अतीत में करते थे।” अनुभवी कांग्रेसी भी कहते हैं कि गांधी परिवार के साथ अमेठी का रिश्ता तब शुरू हुआ जब संजय गांधी ने 1980 में सीट जीती। ऐसे में वरुण के अमेठी से चुनाव लड़ने की संभावना है। अगर ऐसा होता है, तो मतदाताओं को खुशी होगी।”
जब वरुण ने 2014 में लोकसभा चुनाव लड़ा, तो उन्होंने अपने दिवंगत पिता के साथ काम करने वाले सभी दिग्गज कांग्रेस नेताओं तक पहुंचने का ध्यान रखा और राजनीतिक मतभेदों के बावजूद, उन सभी ने खुले दिल से जवाब दिया और खुले दिल से वरुण का स्वागत किया। बीजेपी सूत्रों की माने तो भाजपा आलाकमान द्वारा इस बार वरुण गांधी को टिकट देने की संभावना लगभग खत्म हो चुकी है क्योंकि उनके बगावती तेवर काफी नुकसान पहुंचाते रहे हैं और वरुण पार्टी की नीतियों के अत्यधिक आलोचक माने जाते हैं।
वरुण गांधी के एक करीबी सूत्र ने बताया की “वरुण अमेठी में स्थानांतरित हो सकते हैं जबकि मेनका गांधी वापस पीलीभीत जा सकती हैं जहां उनका मजबूत आधार बना हुआ है। वरुण के निर्दलीय चुनाव लड़ने की प्रबल संभावना है और कांग्रेस और समाजवादी पार्टी उन्हें समर्थन दे रही है। वरुण के अखिलेश यादव के साथ अच्छे संबंध हैं,” और खुद राहुल प्रियंका ने भी अपने भाई से दोस्ताना संबंध बनाये रखे हैं जिसका सीधा फायदा एक और गांधी को मिल सकता है।