देहरादून से अनीता तिवारी की रिपोर्ट –
prahlad mehra उत्तराखंड के लोक गायक प्रहलाद मेहरा का यूँ अचानक दुनिया से चले जाना बड़ा नुक्सान है संगीत के लिए , कलाकारों और पहाड़ी संस्कृति के लिए , प्रहलाद मेहरा के निधन से उत्तराखंड के लोक कलाकारों में शोक की लहर है। ओ हिमा जाग,पहाड़क चेली ले – कभे नी खाए द्वि रोटी सुख ले जैसे गीतो को स्वर देने वाले प्रसिद्व लोक गायक प्रहलाद मेहरा का निधन हल्द्वानी के कृष्णा अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया था 53 वर्ष के प्रहलाद मेहरा का जन्म सीमांत जनपद पिथौरागढ़ के मुनस्यारी में हुआ था।
उत्तराखंड के प्रसिद्व लोक कलाकार ने कहा अलविदा prahlad mehra

गाने बजाने का शौक उन्हें बचपन से ही था और इसी शौक को उन्होंने अपना कैरियर बनाया। 1989 के साल उन्हें आकाशवाणी के ए ग्रेड कलाकार का दर्जा दिया गया। प्रहलाद मेहरा ने 150 से ज्यादागानों को अपनी आवाज दी थी। पहाड़क चेली ले – कभे नी खाए द्वि रोटी सुख ले,चांदी बटना दाज्यू,मेरी मधुली,का छ तेरो जलेबी को डाब,ओ हिमा जाग,कुर्ती कॉलर मा,एजा मेरा दानपुरा जैसे गीत शामिल है।
उनके निधन पर लोक कलाकारों ने गहरा दुख जताया है। चार जनवरी 1971 को पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी तहसील के चामी भेंसकोट में हेम सिंह और लाली देवी के घर में उनका जन्म हुआ था। प्रहलाद मेहरा को बचपन से ही गायन के साथ ही वाद्य यंत्र बजाने का शौक भी था। वह सुप्रसिद्व लोक गायक गोपाल बाबू गोस्वामी से बेहद प्रभावित थे और यह उनका ही असर था कि वह ताउम्र लोक संगीत को समर्पित रहे।
उनका गाये गीत हाड़क चेली ले – कभे नी खाए द्वि रोटी सुख ले में पहाड़ी की नारी की व्यथा को बताया गया है। उत्तराखंड के कई गणमान्य पत्रकारों ने भी प्रहलाद मेहरा के निधन पर शोक जताया है। उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश के सुप्रसिद्ध लोक गायक प्रह्लाद मेहरा के निधन को लोक संगीत जगत के लिए अपूरणीय क्षति बताया है। सीएम ने ट्वीट कर लिखा कि प्रह्लाद दा ने लोक संगीत के माध्यम से हमारी संस्कृति को विश्व पटल पर पहचान देने का अविस्मरणीय कार्य किया। आपके द्वारा गाए गए गीत सदैव देवभूमि की संस्कृति को आलोकित करेंगे। ईश्वर से पुण्यात्मा को श्रीचरणों में स्थान एवं शोक संतप्त परिजनों व प्रशंसकों को यह असीम कष्ट सहन करने की शक्ति प्रदान करने हेतु प्रार्थना करता हूं।
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