Balen Shah नेपाल इन दिनों बड़े राजनीतिक और सामाजिक संकट से गुजर रहा है. सड़कों पर लाखों की संख्या में छात्र और युवा डटे हुए हैं. इस जनांदोलन को ‘Gen Z’ आंदोलन नाम दिया गया है और इसके केंद्र में एक चेहरा है काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह (बालेन शाह), जिन्हें नेपाली युवा आज अपना सबसे बड़ा नेता मान रहे हैं.34 वर्षीय बालेन शाह आज नेपाल के युवाओं की पहली पसंद हैं. उनकी बेबाकी, भ्रष्टाचार और सरकार की नीतियों का विरोध, और युवाओं की आकांक्षाओं के प्रति संवेदनशीलता ने उन्हें अचानक ही जनांदोलन का चेहरा बना दिया है. अब जब पीएम ओली जा चुके हैं, तो सड़कों पर आवाज गूंज रही है बालेन को नेतृत्व दो.
टाइम मैगजीन में शामिल हुए थे बालेन Balen Shah

नेपाल न्यूज के मुताबिक, बालेन शाह की लोकप्रियता और प्रभाव का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि टाइम मैगजीन ने उन्हें 2023 की टॉप 100 शख्सियतों की सूची में जगह दी थी. न्यूयॉर्क टाइम्स जैसे अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने भी उन पर खास रिपोर्ट की. उनकी सोशल मीडिया मौजूदगी बेहद मजबूत है, जहां उनके पोस्ट अक्सर राष्ट्रीय बहस का विषय बन जाते हैं और ट्रेंड करने लगते हैं. युवाओं के बीच उनका रहन-सहन और बेबाक अंदाज रोल मॉडल जैसा माना जाता है.

रैपर से मेयर तक का सफर
बालेन शाह ने करियर की शुरुआत सिविल इंजीनियर के तौर पर की थी. बाद में उन्होंने बतौर रैपर पहचान बनाई और फिर राजनीति में कदम रखा. काठमांडू के मेयर पद का चुनाव जीतना उनके करियर का सबसे बड़ा मोड़ साबित हुआ. पारंपरिक राजनीतिक दलों से युवाओं का मोहभंग और बालेन की नई सोच ने उन्हें अचानक हीरो बना दिया.2023 में आदिपुरुष फिल्म रिलीज हुई थी. फिल्म के कुछ संवादों पर बालेन शाह ने आपत्ति जताई थी और चेतावनी दी थी कि अगर डायलॉग नहीं हटाए गए तो नेपाल में कोई भी भारतीय फिल्म प्रदर्शित नहीं होने देंगे. उस वक्त भी उनका सख्त और राष्ट्रवादी रुख चर्चा में रहा.

Gen- Z आंदोलन में बालेन का समर्थन
सोशल मीडिया पर राजनेताओं के बच्चों की आलीशान जिंदगी के खिलाफ #Nepokid अभियान शुरू हुआ. सरकार ने इंटरनेट और सोशल मीडिया पर रोक लगाने की कोशिश की तो युवाओं ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन का सहारा लिया. पुलिस कार्रवाई में अब तक 20 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें से 18 केवल काठमांडू में मारे गए. बालेन शाह ने इस आंदोलन को खुलकर समर्थन दिया. हालांकि आयोजकों ने इसमें शामिल होने की उम्र सीमा 28 साल से कम रखी थी, इसलिए वे खुद शामिल नहीं हुए. लेकिन उन्होंने फेसबुक पर पोस्ट लिखकर कहा कि यह युवाओं का स्वाभाविक आंदोलन है और राजनीतिक दलों को इसे अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

पीएम ओली के इस्तीफे के बाद बालेन की मांग तेज
पुलिस कार्रवाई में हुई मौतों के बाद गृह मंत्री रमेश लेखक ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया. दबाव बढ़ने पर प्रधानमंत्री ओली ने भी पद छोड़ा. इसके साथ ही युवाओं की मांग तेज हो गई है कि बालेन शाह मेयर पद छोड़कर देश की बागडोर संभालें. फेसबुक और सोशल मीडिया पर लगातार पोस्ट हो रहे हैं जिनमें युवाओं ने बालेन से नई पार्टी बनाने और राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व करने का आग्रह किया है. उनका कहना है कि पारंपरिक राजनीतिक दल विफल साबित हुए हैं और अब बालेन ही नई दिशा दे सकते हैं.

ओली और बालेन का पुराना टकराव
दरअसल, बालेन और ओली के बीच टकराव कोई नया नहीं है. काठमांडू मेट्रोपॉलिटन सिटी के हजारों कर्मचारियों को महीनों वेतन न मिलने से शुरू हुआ विवाद धीरे-धीरे बड़ा संकट बन गया. जब बालेन ने अवैध निर्माण और अतिक्रमण के खिलाफ सख्त कदम उठाए तो मामला और भड़क गया. यूएमएल (ओली की पार्टी) से जुड़े नेताओं ने उन्हें धमकी तक दी. हाल ही में फुटपाथ चौड़ीकरण परियोजना पर भी विवाद हुआ. ओली और उनकी पार्टी ने इसका विरोध किया तो बालेन ने पलटवार करते हुए उन्हें बड़े भ्रष्टाचार घोटाले में घेर लिया. इसके बाद ओली ने बालेन को ‘राजनीतिक बुलबुला’ कहा था.

