
Karwa Chauth करवा चौथ का व्रत बेहद शुभ माना जाता है। यह पति-पत्नी के अटूट प्रेम का प्रतीक है। हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को यह व्रत विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए करती हैं और मां करवा, माता पार्वती व चंद्र देव से अमर सुहाग का वरदान मांगती हैं.हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल यह व्रत 10 अक्टूबर को रखा जाएगा। वहीं, इस दिन मां पार्वती की पूजा का भी विधान है।ऐसे में सुबह स्नान के बाद देवी का ध्यान करें। उनके सामने घी का दीपक जलाएं। फिर माता रानी के 108 नामों का जप करें। अंत में आरती करें। ऐसा करने से मां पार्वती की पूर्ण कृपा मिलती है।
माता पार्वती ने सर्वप्रथम किया था व्रत Karwa Chauth
पौराणिक कथाओं में ज़िक्र है कि करवाचौथ का व्रत सबसे पहले माता पार्वती ने किया था वो भी भगवान शिव के लिए. और तभी से इस व्रत की परंपरा शुरु हो गई. लेकिन माता पार्वती ने ये व्रत क्यों किया इसके पीछे भी एक पौराणिक कथा है. जो इस प्रकार है – कहते हैं जब एक बार देवताओं और दानवों के बीच भीषण युद्ध हुआ तो ब्रह्मदेव ने सभी देवताओं की पत्नियों को करवा चौथ का व्रत करने का सुझाव दिया था. तब कार्तिक माह की चतुर्थी तिथि को सभी देवियों ने व्रत किया जिसमें देवों को युद्ध में विजय प्राप्त हुई।
द्रौपदी ने भी रखा था करवा चौथ का व्रत
द्वापर युग में भी द्रौपदी ने करवा चौथ का व्रत रखा था. कहते हैं जब अर्जुन नीलगिरी पर्वत पर तपस्या करने गए थे तो उस दौरान पांडवों को कई तरह के कष्टों का सामना करना पड़ा. चूंकि द्रौपदी कृष्ण को अपना सबसे अच्छा मित्र मानती थीं इसीलिए उन्होंने इसके लिए सुझाव मांगा. तब भगवान कृष्ण ने उन्हें कार्तिक मास की चतुर्थी को व्रत करने को कहा था। तब द्रौपदी ने श्रद्धा के साथ इस व्रत को किया, और इसके बाद पांडवों के सभी कष्ट दूर हो गए.
करवा का साहस देखकर यमराज भी डर गए
करवा नाम की एक पतिव्रता धोबिन अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थित गांव में रहती थी। उसकी पति बूढ़ा और निर्बल था। एक दिन वह नदी के किनारे कपड़े धो रहा था तभी अचानक एक मगरमच्छ वहां आया, और धोबी के पैर अपने दांतों में दबाकर जाने लगा। वृद्ध पति यह देखकर घबरा गया और उससे कुछ कहते न बना तो वह करवा-करवा कहकर अपनी पत्नी को पुकारने लगा।
धोबिन करवा पति की पुकार सुन वहां पहुंची, तो मगरमच्छ उसके पति को यमलोक पहुंचाने ही वाला था। तब करवा ने मगर को कच्चे धागे से बांध दिया और मगरमच्छ को लेकर यमराज के पास पहुंची। उसने यमराज से अपने पति की रक्षा की गुहार लगाई और साथ ही ये भी कहा कि मगरमच्छ को उसके इस कार्य के लिए कठोर से कठोर दंड देने का आग्रह किया और बोली हे भगवान ! मगरमच्छ ने मेरे पति के पैर पकड़ लिए है। आप मगरमच्छ को इस अपराध के लिए दंड स्वरुप नरक में भेजें। करवा की पुकार सुनकर यमराज ने कहा कि, अभी मगर की आयु शेष है, मैं उसे यमलोक नहीं भेज सकता। इस पर करवा ने कहा- अगर आपने मेरे पति को बचाने में मेरी सहायता नहीं की तो मैं आपको श्राप दे दूंगी और नष्ट कर दूंगी। करवा का साहस देखकर यमराज भी डर गए और मगर को यमपुरी भेज दिया। साथ ही करवा के पति को दीर्घायु होने का वरदान दिया। तब से कार्तिक कृष्ण की चतुर्थी को करवा चौथ व्रत किया जाता है।