Alaxmi ki kahani दीवाली पर देवी लक्ष्मी की पूजा होती है. इस पर्व पर उन्हें खुश करके लोग अपने धनधान्य और किस्मत को बेहतर करने की प्रार्थना करते हैं. क्या आपको मालूम है कि दीवाली पर ही लक्ष्मी के साथ उनकी बहन अलक्ष्मी भी घर में घुसने का मौका देखती रहती हैं. लेकिन कोई नहीं चाहता कि अलक्ष्मी के कदम किसी भी तरह से उनके घर में पड़ें. देवी लक्ष्मी की बड़ी बहन अलक्ष्मी को हिंदू पौराणिक कथाओं में अक्सर दुर्भाग्य, बुरी किस्मत और अशुभ बातों से जोड़ा जाता है.अलक्ष्मी का शाब्दिक अर्थ है “लक्ष्मी नहीं”, ये नाम उनकी छोटी बहन लक्ष्मी के विपरीत स्वभाव को दर्शाता है, जो धन और समृद्धि की प्रतीक हैं. अलक्ष्मी का वर्णन पद्म पुराण और शिव पुराण सहित कई ग्रंथों में किया गया है.
कैसे अलक्ष्मी पहले धरती पर आईं Alaxmi ki kahani
इन स्रोतों के अनुसार, समुद्र मंथन के ही दौरान, लक्ष्मी से पहले अलक्ष्मी का उदय हुआ. उन्हें अक्सर मुरझाए हुए शरीर, धंसे गाल और कौए या गधे की सवारी करते हुए दिखाया जाता है. वह नुकसान और नकारात्मकता के साथ जुड़ाव का प्रतीक है.उनके बाल बिखरे बताए गए हैं तो आंखें लाल और वह अक्सर काले कपड़े ही पहनती हैं. जब जमीन पर चलती हैं तो सवारी गधा होता है और जब हवा में कहीं जाती हैं तो कौए सवारी होता है.अलक्ष्मी जीवन के नकारात्मक पहलुओं का प्रतिनिधित्व करती हैं. कहा जाता है कि वह उन व्यक्तियों के बीच रहती हैं, जो अनैतिक व्यवहार करते हैं, जिससे उनके जीवन में ईर्ष्या, द्वेष और गरीबी आती है. माना जाता है कि जब वह किसी घर में प्रवेश करती है, तो इससे संघर्ष और दुर्भाग्य बढ़ता है. इसीलिए कोई नहीं चाहता कि अलक्ष्मी उनके घर आएं. उन्हें घर से दूर ही रखने के सारे जतन किए जाते हैं.
नींबू और मिर्च अलक्ष्मी के लिए लटकाते हैं
बेशक लक्ष्मी और अलक्ष्मी दोनों बहनें जरूर हैं, जिसमें एक भाग्य और दूसरी दुर्भाग्य की प्रतीक हैं. दोनों के बीच हमेशा झगड़ा रहता है. अलक्ष्मी के प्रभाव को दूर करने के लिए विभिन्न अनुष्ठान किए जाते हैं. लक्ष्मी पूजा के दौरान ही अलक्ष्मी के नकारात्मक प्रभावों को दूर करने की पूजा-अनुष्ठान होते हैं. अगर आपने घर और दुकानों से बाहर लटके हुए नींबू और मिर्च देखे होंगे तो ये अलक्ष्मी को घर में घुसने से रोकने के लिए ही लगाए जाने की मान्यता रही है.बेशक समुद्र मंथन में अलक्ष्मी पहले पैदा हुईं. विष के साथ बाहर आईं. उन्हें अशुद्धियों से बना माना गया. उसके बाद लक्ष्मी मंथन से अमृत लिए हुए निकलीं. लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी हैं. उनके कामों में खास भूमिका निभाती हैं. वैकुंठ में उनके साथ रहती हैं. वहीं अलक्ष्मी को ऋषि उद्दालक की पत्नी माना गया लेकिन वह उनके साथ नहीं रह सकीं. बाद में भगवान विष्णु ने उनके रहने की जगह तलाशी और उन्हें नकारात्मकता से भरे स्थानों में रहने के लिए नियुक्त किया.