Amazing Indian Tradition दुनिया में कई तरह की जनजातियां रहती हैं. कई जनजातियों के बारे में लोगों को जानकारी भी नहीं है. ये जनजातियां घने जंगलों में छिपकर रहते हैं. दुनिया की मॉडर्निटी से इनका कोई वास्ता नहीं होता. ये सबसे अलग अकेले रहते हैं. लेकिन कुछ जनजातियों ने समय के साथ अपनी लाइफस्टाइल को बदल लिया. उन्होंने समय के साथ अपने अंदर बदलाव लाया, जिसका नतीजा है कि उनकी लाइफ के बारे में दुनिया को पता चल पाया.
मर्द और औरत दोनों यहाँ हैं रामनामी Amazing Indian Tradition

कहा जाता है कि 100 साल पहले गांव में हिन्दुओं के ऊंची जाति के लोगों ने इस समाज को मंदिर में घुसने से मना कर दिया था। इसके बाद से ही इन्होंने विरोध करने के लिए चेहरे सहित पूरे शरीर में राम नाम का टैटू बनवाना शुरू कर दिया। लोगों का मानना है कि, रामनामी समाज को रमरमिहा के नाम से भी जाना जाता है। कई लोग इस परंपरा को पिछले 50 सालों से निभा रहे हैं। वहां के लोग बताते हैं, जिस दिन मैंने ये टैटू बनवाया, उस दिन मेरा नया जन्म हो गया। 50 साल बाद उनके शरीर पर बने टैटू कुछ धुंधले से हो चुके हैं, लेकिन उनके इस विश्वास में कोई कमी नहीं आई है। ख़ास बात तो ये भी है कि पति अपनी पत्नी के शरीर और चेहरे पर बड़ी ख़ुशी से रामनाम गुदवाते हैं मतलब मर्द और औरत दोनों यहाँ हैं रामनामी

रामनामी जाति के लोगों की आबादी तकरीबन एक लाख है और छत्तीसगढ़ के चार जिलों में इनकी संख्या ज्यादा है। सभी में टैटू बनवाना एक आम बात है। इस समाज में पैदा हुए लोगों को शरीर के कुछ हिस्सों में टैटू बनवाना जरूरी है। खासतौर पर छाती पर और दो साल का होने से पहले। टैटू बनवाने वाले लोगों को शराब पीने की मनाही के साथ ही रोजाना राम नाम बोलना भी जरूरी है। ज्यादातर रामनामी लोगों के घरों की दीवारों पर राम-राम लिखा होता है। इस समाज के लोगों में राम-राम लिखे कपड़े पहनने का भी चलन है, और ये लोग आपस में एक-दूसरे को राम-राम के नाम से ही पुकारते हैं।

नखशिख राम-राम लिखवाने वालों ने बताया कि रामनामियों की पहचान राम-राम का गोदना गुदवाने के तरीके के मुताबिक की जाती है। शरीर के किसी भी हिस्से में राम-राम लिखवाने वाले रामनामी। माथे पर राम नाम लिखवाने वाले को शिरोमणि। और पूरे माथे पर राम नाम लिखवाने वाले को सर्वांग रामनामी और पूरे शरीर पर राम नाम लिखवाने वाले को नखशिख रामनामी कहा जाता है।